ई-अभिव्यक्ति -संवाद

प्रिय मित्रो,

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…

दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियाँ हमें हमारे जीवन और कर्म को नई दिशा प्रदान करती है।

यह ई-अभिव्यक्ति परिवार ( ई- अभिव्यक्ति – हिन्दी/मराठी/अंग्रेजी) के परिश्रम  एवं आपके भरपूर प्रतिसाद तथा स्नेह का फल है जो इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आपकी अपनी वेबसाइट पर 3,50,500+ विजिटर्स अब तक विजिट कर चुके हैं।

( ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी) संपादक मण्डल के संपादक-द्वय मित्रों  श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी एवं श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के सम्पादकीय उद्बोधन)

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है।  – हेमन्त बावनकर, ब्लॉग सम्पादक

ई-अभिव्यक्ति की दिनों दिन बढ़ती लोकप्रियता और लगातार बढ़ती पाठकों की संख्या इस बात को साबित करती है कि कवि, व्यंंग्यकार श्री हेमन्त बावनकर के जूनून, कड़ी मेहनत और तकनीकी ज्ञान ने कवि, लेखकों को अभिव्यक्ति के लिए सम्मानजनक मंच दिया है।

जीवन की ऊहापोह की दर्द भरी दास्तां लिए 2020 बीत गया, धरती पर जिंदगी की जद्दोजहद के बीच कोरोना वायरस ने बिलखती मानवता को नये अर्थ दिये।

2020 आपकी सारी समस्याओं, बीमारी, क्षोभ, कुण्ठाओं, असामयिक मृत्यु, शर्म, अपमान, एकाकीपन, नैराश्य, विफलता, और तिरस्कार के साथ विदा ले रहा है।

श्रीमान 2021 जी ने मुझे आपको सूचित करने के लिए कहा कि, वह आपको दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, धन-सम्पदा, प्रेम, प्रचुर आशीर्वाद, शान्ति, खुशी, धार्मिक सद्भाव, संवर्धन, समृद्धि की क्षतिपूर्ति करने आ रहे हैं।

ई-अभिव्यक्ति के प्रति आपकी प्रतिबद्धता ने हमें बहुत कुछ नया करने का संबल प्रदान किया है, सभी लेखकों का हार्दिक अभिनन्दन।

बधाई !

जय प्रकाश पाण्डेय (संपादक – ई-अभिव्यक्ति – हिन्दी)

[email protected]

 

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है।  उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। – हेमन्त बावनकर, ब्लॉग संपादक )

नवल वर्ष के धवल दिवस अब,  साथी सबको मंगलमय हो

कीर्ति मान यश से परिपूरित, जीवन का आलोक अमर हो

नये साल के पहले दिन सूरज की पहली किरण हम सबके जीवन में, सारे विश्व के लिए शांति, सुरक्षा, प्रसन्नता, समृद्धि और उन्नति लेकर आये यही कामनायें हैं.

विगत वर्ष कोरोना को समर्पित लगभग पूरी तरह दुनियां भर के लिये बाधित वर्ष के रूप में रहा. कोरोना जनित स्थितियां अप्रत्याशित, अभूतपूर्व थीं. सब स्तंभित थे. सेरकारें, यू एन ओ, लोग सभी किंकर्तव्यविमूढ़ थे. इस विडम्बना में जो फंस गये वे भुक्तभोगी बन गये. कितने ही लोगों के अंतिम संस्कार तक परिजन नहीं कर सके. पूजा स्थल तक बंद करने पड़े. आइये सब मनायें कि ऐसी परिस्थितियां दोबारा कभी न बनें.

ई अभिव्यक्ति आपके साहित्यिक रचना कर्म, अध्ययन के साथ  सतत सहगामी है, व सबके लिए शुभकामनाएं संजोए, शुभेक्षाये, विश्व के मङ्गल की कामना करता है

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  (संपादक – ई-अभिव्यक्ति – हिन्दी)  

[email protected]

 

2020 वर्ष ने हमें जिंदगी जीना सीखा दिया और यह संदेश दे दिया कि जाति, धर्म और रंगभेद के सर्वोपरि मानवता है।

2020 वर्ष ने साहित्यकारों को नए डिजिटल/तकनीकी आयाम दिए हैं।

ईश्वर से कामना है की आने वाला वर्ष एक खुशनुमा और ख़ुशबुओं से भरा मुस्कुराहट लिए गुलदस्ता लेकर आएगा। प्रबुद्ध पाठकों को प्रबुद्ध लेखकों का सकारात्मक स्वस्थ साहित्य आत्मसात करने के लिए हमें नवीन अवसर प्रदान करेगा।

Bouquet on Samsung One UI 2.5

हेमन्त बावनकर 

 

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विवेक

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर मङ्गल कामना