प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

☆ लघुकथा – “ऑनलाइन…” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆

“मित्र सुदेश! यह लॉकडाउन तो गज़ब का रहा? क्या अब फिर से लॉकडाउन नहीं लगेगा।” सरकारी स्कूल के टीचर आनंद ने अपने मित्र से कहा।

“क्या मतलब? “सुदेश ने उत्सुकता दिखाई। 

“वह यह सुदेश ! कि पहले तो कई दिन स्कूल बंद रहे तो पढ़ाने से मुक्ति रही,और फिर बाद में मोबाइल से  ऑनलाइन पढ़ाने का आदेश मिला,तो बस खानापूर्ति ही कर देता रहा।न सब बच्चों के घर मोबाइल है,न ही डाटा रहता था, तो कभी मैं इंटरनेट चालू न होने का बहाना कर देता रहा। बहुत मज़े रहे भाई ! “आनंद ने बड़ी बेशर्मी से कहा। 

“पर इससे तो बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुक़सान हुआ। ” सुदेश ने कमेंट किया। 

“अरे छोड़ो यार! फालतू बात। फिर से लॉकडाउन लग जाए तो मज़ा आ जाए।” आनंद ने निर्लज्जता दोहराई।          

© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे

प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661

(मो.9425484382)

ईमेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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