श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

द्वादश अध्याय

(भगवत्‌-प्राप्त पुरुषों के लक्षण)

 

यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्‍क्षति।

शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः।।17।।

जिसे न हर्ष न शोक है ,जिसे न द्वेष न काम

शुभ औ” अशुभ से मुक्त जो ,भक्त वो प्रिय निष्काम ।।17।।

 

भावार्थ :  जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है।।17।।

 

He who neither rejoices, nor hates, nor grieves, nor desires, renouncing good and evil, and who is full of devotion, is dear to Me.।।17।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

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