सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा

(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी  सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की  साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर  के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में  एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी  कविता “एक शमां हरदम जलती है ”।  यह कविता आपकी पुस्तक एक शमां हरदम जलती है  से उद्धृत है। )

आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी के यूट्यूब चैनल पर उनकी रचनाओं के संसार से रूबरू हो सकते हैं –

यूट्यूब लिंक >>>>   Neelam Saxena Chandra

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 37 ☆

☆ एक शमां हरदम जलती है  ☆

 

जब कोई डर सताए,

जब कोई दिल दुखाये,

जब बहाव थम सा जाए,

जब पाँव के नीचे शूल ही शूल चुभ रहे हों,

जब लगे कि ख्वाब पूरी तरह टूट गए हों,

और कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा हो,

जब हर साथी साथ छोड़ दे-

तब याद रखना

कि तुम्हारी खुद की रूह के भीतर भी

एक शमां है

जो हरदम जलती रहती है!

 

आँखें बंद कर

दो क्षण को बैठ जाना

और ध्यान देना कुछ लम्हों के लिए

उस शमां पर…

 

उसे देखना सुलगते हुए,

सुनना उसकी बातें

जो तुमको आगे बढ़ने की

प्रेरणा दे रही होंगी,

महसूस करना

उसकी उष्णता

जो तुममें नई स्फूर्ति भर रही होगी…

 

सुनो,

अकेलापन एक मिथ्या है-

तुम अकेले कभी नहीं होते!

अपनी रूह की सुनोगे

तो मुस्कुराते हुए हरदम बढ़ते ही रहोगे!

 

© नीलम सक्सेना चंद्रा

आपकी सभी रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं एवं बिनाअनुमति  के किसी भी माध्यम में प्रकाशन वर्जित है।

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