आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी मुक्तिका/हिंदी ग़ज़ल

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 11 ☆ 

☆ मुक्तिका/हिंदी ग़ज़ल☆ 

 

किस सा किस्सा?, कहे कहानी

गल्प- गप्प हँस कर मनमानी

 

कथ्य कथा है जी भर बाँचो

सुन, कह, समझे बुद्धि सयानी

 

बोध करा दे सत्य-असत का

बोध-कथा जो कहती नानी

 

देते पर उपदेश, न करते

आप आचरण पंडित-ज्ञानी

 

लाल बुझक्कड़ बूझ, न बूझें

कभी पहेली, पर ज़िद ठानी

 

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

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