श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) 

☆ संजय दृष्टि  ☆ पुनर्पाठ – आज़ादी मुबारक ☆

(15 अगस्त 2016 को लिखा संस्मरण)

मेरा कार्यालय जिस इलाके में है, वहाँ वर्षों से सोमवार की साप्ताहिक छुट्टी का चलन है। दुकानें, अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान, यों कहिए  कमोबेश सारा बाजार सोमवार को बंद रहता है। मार्केट के साफ-सफाई वाले कर्मचारियों की भी साप्ताहिक छुट्टी इसी दिन रहती है।

15 अगस्त को सोमवार था। स्वाभाविक था कि सारे  छुट्टीबाजों के लिए डबल धमाका था। लॉन्ग वीकेंड वालों के लिए तो यह मुँह माँगी मुराद थी।

किसी काम से 15 अगस्त की सुबह अपने कार्यालय पहुँचा। हमारे कॉम्प्लेक्स का दृश्य देखकर सुखद अनुभूति हुई।  रविवार के आफ्टर इफेक्ट्स झेलने वाला हमारा कॉम्प्लेक्स कामवाली बाई की अनुपस्थिति के चलते अमूमन सोमवार को अस्वच्छ रहता है है। आज दृश्य सोमवारीय नहीं था। पूरे कॉम्प्लेक्स में झाड़ू- पोछा हो रखा था। दीवारें भी स्वच्छ! पूरे वातावरण में एक अलग अनुभूति, अलग खुशबू।

पता चला कि कॉम्प्लेक्स में काम करनेवाली बाई सीताम्मा, सुबह जल्दी आकर पूरे परिसर को झाड़-बुहार गई है। लगभग दो किलोमीटर पैदल चलकर काम करने आनेवाली इस निरक्षर लिए 15 अगस्त किसी तीज-त्योहार से बढ़कर था। तीज-त्योहार पर तो बख्शीस की आशा भी रहती है, पर यहाँ तो बिना किसी अपेक्षा के अपने काम को राष्ट्रीय कर्तव्य मानकर अपनी साप्ताहिक छुट्टी छोड़ देनेवाली इस  सच्ची नागरिक के प्रति गर्व का भाव जगा। छुट्टी मनाते सारे बंद ऑफिसों पर एक दृष्टि डाली तो लगा कि हम तो  धार्मिक और राष्ट्रीय त्योहार केवल पढ़ते-पढ़ाते रहे, स्वाधीनता दिवस को  राष्ट्रीय त्योहार, वास्तव में सीताम्मा ने  ही समझा।

आज़ादी मुबारक सीताम्मा, तुम्हें और तुम्हारे जैसे असंख्य कर्मनिष्ठ भारतीयों को!

सभी मित्रों को, भारत के हम सब नागरिकों को देश के स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

©  संजय भारद्वाज 

☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

3 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
अलका अग्रवाल

कामवाली बाई सीताम्मा द्वारा राष्ट्रीय पर्व का महत्व समझने के लिए हार्दिक बधाई

माया कटारा

राष्ट्रीय त्योहार मनानेवाली सीताम्मा की कर्तव्य निष्ठा अनुकरणीय, स्वेच्छा से मनाया यह उत्सव , सरकारी छुट्टी के बावजूद अपना यथाशक्ति योगदान प्रदान किया । ऐसे ही आज़ादी को अर्थ प्रदान करनेवाली स्वच्छता कर्मी – नमन योग्य

वीनु जमुआर

सीताम्मा एवं इनके जैसे अन्य कर्मनिष्ठों को सलाम!?