श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं । सेवारत साहित्यकारों के साथ अक्सर यही होता है, मन लिखने का होता है और कार्य का दबाव सर चढ़ कर बोलता है।  सेवानिवृत्ति के बाद ऐसा लगता हैऔर यह होना भी चाहिए । सेवा में रह कर जिन क्षणों का उपयोग  स्वयं एवं अपने परिवार के लिए नहीं कर पाए उन्हें जी भर कर सेवानिवृत्ति के बाद करना चाहिए। आखिर मैं भी तो वही कर रहा हूँ। आज से हम प्रत्येक सोमवार आपका साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी प्रारम्भ कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण रचना  “ रात बीत जायेगी”।  कुछ अधूरी कहानियां  कल्पनालोक में ही अच्छी लगती हैं। संभवतः इसे ही फेंटसी  कहते हैं। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी #6 ☆ 

☆ रात बीत जायेगी ☆ 

 

तू उदास मत हो

परिस्थितियों का दास मत हो

मित्र, तेरे जीवन में खुशियाॅ आयेंगी

यह दुख भरी

काली रात बीत  जायेगी

अच्छे दिन भी

कहां सदा रहते हैं

जाते जाते हमसे यही कहते है

ये कठिन समय तुम्हारी परीक्षा है

भविष्य के लिए शिक्षा है

यही समय

तुम्हें निडर और साहसी बनाता है

तुम्हारे अंदर आत्मसम्मान जगाता है

तुम्हारी जिद अंधकार में

तुम्हे राह दिखायेगी

ये दुख भरी रात बीत जायेगी

माना यह रात

भयानक और घनघोर है

दुष्टात्माओं का

चहुँ और शोर है

आँधी -तूफानो में बड़ा ज़ोर है

घने बादलों में छुपी हुई भोर है

सुबह रात की गुलाम है

सूरज पग पग पर हो रहा नीलाम है

यह भयावहा!

किरणों को रोक नही पायेगी

यह दुख भरी रात बीत जायेगी

चाँद तारों की बोली लग रही है

आकाशगंगा चिंता में जग रही है

सारे नक्षत्र डरे डरे से भय में है

ब्रम्हांड अनजाने से संशय में है

ध्रुव तारा अड़िग किंतु मौन है

सब पेशोपेश में है कि

यह जादूगर कौन है

ये तिलिस्म तोड़,

नियति सारा हिसाब चुकायेगी

ये दुख भरी काली रात बीत  जायेगी

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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