श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
☆ संजय दृष्टि – यमदूत ☆
मुझे प्रायः
दिखते हैं यमदूत,
सुरक्षा रक्षक बनते
साथ कदमताल करते,
एस्कॉर्ट का यह घेरा
अभेद्य होता है
दुनियावी ऐबों से
रक्षा करता है,
व्यसन मेरे पास
फटक नहीं पाते
स्थितियों के व्यूह
डिगा नहीं पाते,
आदमी का भीतर
जगाये रखने का
साधन सच्चा होता है,
यमदूत का साथ
मनुष्य के लिए
अच्छा होता है!
© संजय भारद्वाज
(संध्या 4:56 बजे, 26.6.19 )
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
9890122603
यमदूत का साथ मनुष्य के लिए अच्छा होता है। अद्भुत, अतुलनीय विचार।
नया दृष्टिकोण देने के लिए रचनाकार को नमन – मनुष्य के लिए यमदूत के साथ का सकारात्मक पहलू दृष्ष्टिगोचर है ……