श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
संजय दृष्टि – चित्र
वर्णित शब्दों के आधार पर
चित्रकार उकेर देते हैं
अनदेखे चेहरों के चित्र..,
पढ़ता हूँ कविताएँ,
पढ़ता हूँ कहानियाँ,
अनगिनत रचनाकारों के
मूल चित्र संग्रहित हैं
मेरे मन के संग्रहालय में..!
# घर में रहें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें। आपका दिन मंगलमय हो #
© संजय भारद्वाज
(प्रात: 5:57 बजे, 13.5.21)
☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
9890122603
उस संग्रहालय की दाद देते हैं
असली चित्रकार के मन में अनेक मूल रचनाकारों के चित्रों का संग्रहालय होता है ,, अंकित होते हैं वे चित्र जिन्हें वह उकेरना चाहता है , चित्रांकन की अद्भुत शक्ति मन में होती है ,नमन ऐसे रचनाकार को …
चित्रकार के मानसिक संग्रहालय को नमन।
मन का संग्रहालय ! बहुत ख़ूब।