डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’
(आज प्रस्तुत है डॉ कामना कौस्तुभ जी की एक विचारणीय लघुकथा अहम की भेंट। )
☆ कथा कहानी ☆ लघुकथा – अहम की भेंट ☆ डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’ ☆
धूमधाम से मुंबई से मैट्रिक पास लड़की को ब्याह कर लाए। कुछ दिनों बाद निशा ने कहा आप लोगों ने तो कहा था कि पढ़ने देंगे। तब अजय ने डांट कर कहा – “कोई जरूरत नहीं पढ़ने लिखने की। घर गृहस्ती संभालो और उसके बाद मारपीट गाली-गलौज के माहौल में एक के बाद एक तीन लड़कियों को जन्म दिया। अजय के तेज स्वभाव ने कभी भी उसे गृहस्ती के या लड़कियों के पढ़ाई लिखाई और भविष्य के निर्णयों में बोलने का अधिकार नहीं दिया। तीनों लड़कियों को बिना ज्यादा पढ़ाई के शादी कर जहां-तहां पटक दिया गया।
यहां तक कि अजय का बिजनेस कैसे चलता है इसकी जानकारी भी कभी निशा को नहीं दी। अचानक अजय को एक के बाद एक दो हार्ट अटैक आए और 2 दिन के बाद ही हार्ट फेल हो गया। तेरहवीं के बाद निशा ने सोचा कि जीवन तो चलाना ही होगा। उसने अजय की अलमारी छान मारी पर कहीं कोई हिसाब किताब, लिखा पढ़ी, किस से कितना पैसा लेना है कोई भी जानकारी नहीं मिली ना ही बैंक अकाउंट में कोई पैसा, न हीं खुद का मकान। बेटियां भी आत्मनिर्भर नहीं थी। तो ना तो उनसे और ना ही उनके ससुराल से कोई सहारा मिला। 2 महीने से छोटी-मोटी नौकरी भटकने के बाद भी कहीं से कोई जवाब नहीं मिला।
एक बार फिर एक नारी का जीवन एक पुरुष के अहम् की भेंट चढ़ गया।
© डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव ‘कौस्तुभ’
मो 9479774486
जबलपुर मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
Shandar