श्री नवेन्दु उन्मेष

☆ व्यंग्य  ☆ झूठ बोले मीडिया काटे ☆ श्री नवेन्दु उन्मेष

पहले झूठ बोलने पर कौआ काटता था। इसी लिए फिल्म में गीत भी लिखा गया कि झूठ बोले कौआ काटे, काले कौए से डरियो। लेकिन अब शहर से कौए गायब हो चुके हैं। कौआ अब विलुप्त प्राणी होता हुआ नजर आ रहा है। अब जो नया प्राणी पैदा हो गया है उसे कहते हैं मीडिया। पहले कहावत थी कि जहां न जाये रवि वहां जाये कवि। लेकिन अब ऐसी बात नहीं रही। अब जहां कवि, कौआ और रवि नही पहुंच पाते वहां मीडिया पहुंच जाता है। अब मीडिया की भी नयी-नयी जमात पैदा हो गयी है। पहले मीडिया का मतलब आकाशवाणी या अखबार हुआ करते थे। इसके बाद पीढ़ियां बदली तो न्यूज चैनल और मनोरंजन चैनलों का दौर आ गया। पहले चैनलों के पत्रकार माइक लेकर शहर में घूमा करते थे। अब तो घर-घर में यूटयूब चैनल के पत्रकार हो गये हैं जिन्हें अन्य मीडिया वाले मीडियाकर्मी मानने से इनकार करते हैं। कहीं-कहीं तो प्रशासन भी यूटयूबर्स को मीडियाकर्मी के रूप में स्वीकार करने से इनकार करता है। इन सबके बावजूद कई यूटयूबर्स के चैनल देखने वालों की संख्या लाखों-करोड़ों में हैं।

अब तो गोदी मीडिया की भी एक अलग जमात खड़ी हो गयी है। ऐसी मीडिया के बारे में कहा जाता है कि यह सत्ता की गोद में सोती और जागती है। इस मीडिया के लोग के झूठ को सच बताने का काम बखूबी करना जानते हैं। इसे चारण संस्कृति भी कहा जाता है। राजा-महाराजाओं के जमाने में दरबारी कवि-लेखक होते थे जो राजा की चारण में गीत लिखकर जनता के बीच उनके अच्छे या झूठे कार्यो को इसके माध्यम से पहुंचाते थे। इससे चारण कवियों को लाभ यह होता था कि उन्हें अच्छी तनख्वाह मिलती थी। कहा जा सकता है कि चारण संस्कृति का ही नया नाम गोदी मीडिया है।

पहले जब पत्नी पति से रूठ जाती थी तो गाना गाती थी कि मैं मैके चली जाउंगी तुम देखते रहियो। अब बीवियां धमकी दे रही हैं कि मैं पाकिस्तान चली जाउंगी और वहां के वादियों में नाच-नाचकर तुम्हें दिखाउंगी। तुम देखते रहियों। तब तुम्हारे पास मीडिया वाले माइक लेकर आयेंगे। तब तुम्हें पता चलेगा कि बीवी का महत्व क्या है।

तरह-तरह के मीडिया के आने से मियां बीवी के झगड़े भी बढ़े हैं। छोटे-मोटे झगड़ों पर भी बीवियां मीडिया को बुलाने की धमकी देने लगी हैं। मीडिया भी ऐसा है कि एक माइक और एक मोबाइल फोन लेकर घर पर आ धमकता है और पूछता है कि तुम्हारा पति से क्यों नहीं पटता है। पति से प्रश्न करता है कि तुम अपनी पत्नी से कितना प्यार करते हो। यह सब देखकर लगता है कि मीडिया अब पति-पत्नी को प्यार करना सिखा रहा है।

पहले तो भारी भरकम कैमरा लेकर मीडिया कर्मी आते थे तो लगता था कि मीडिया वाले आ गये हैं। लेकिन अब तो घर में पति के पास भी अलग तरह की मीडिया है तो पत्नी के पास भी अलग तरह की मीडिया है। पति पत्नी के कृत्यों को मोबाइल पर रिकार्ड करके उसका पोल खोल रहा है तो पत्नी पति के कृत्यों को उजागर कर रही है। मीडिया के विशेषज्ञों से पूछिये तो कहेंगे यह मीडिया की बढ़ती हुई ताकत है जो पति-पत्नी के संबंधों को भी लोगों के बीच ला रहा है। मेरी सलाह है कि ऐसे पति-पत्नी को संभल कर रहना चाहिए।

नेताओं और दलों के बीच झगड़े बढ़ाने का काम भी मीडिया कर रहा है। अगर एक नेता ने दूसरे नेता के बारे में कुछ कह दिया तो तुरंत दूसरे नेता के घर पर मीडिया वाले पहुंच जायेंगे और पहले वाले नेता के कथन को उसके समक्ष रखकर पूछेंगे इसमें सच्चाई क्या है। अब पहले वाला नेता फंसा। मतलब साफ हैं झूठ बोले तो मीडिया काटे। मीडिया का काम है काटना। वह चाहे न्यूज की फसल काटे या गोदी मीडिया की तरह नेताओं या दलों की गोद में बैठे और इतराये कि यह देखो मुझे फलां नेता या दल का समर्थन प्राप्त है। तुम मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते। इसे कहते हैं सैया भये कोतवाल तो अब डर काहे का।

© श्री नवेन्दु उन्मेष

संपर्क – शारदा सदन,  इन्द्रपुरी मार्ग-एक, रातू रोड, रांची-834005 (झारखंड) मो  -9334966328

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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