कविराज विजय यशवंत सातपुते

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव समसामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है  श्री रामनवमी पर्व पर विशेष  कविता “रघुकुल शिरोमणी – जय श्रीराम।)

☆ श्री रामनवमी विशेष  –  रघुकुल शिरोमणी – जय श्रीराम 

 

सूर्यवंशी रामराया , विष्णू रूप अवतार

एकपत्नी न्यायप्रिय,करी सत्य अंगीकार.. . . !

 

राम लक्षुमण जोडी, शत्रुघ्नाचा बंधुभाव

भरताचे स्नेहपाश, घेती अंतरीचा ठाव.. . !

 

माता कौसल्येचा राम, राम सुमित्रा नंदन

राम पुत्र कैकेयीचा, जणू वात्सल्य मंथन.. . !

 

रघुकुल शिरोमणी, कोटी श्लोक याची गाथा

ऐकताच रामरक्षा, लीन होई माझा माथा.. . . !

 

मरा मरा म्हणताना, राम मनी साकारला

वाल्मिकीच्या रामायणी,मूर्तीमंत आकारला.. . !

 

आकाशीचा चंद्र मागे,खेळायला बालपणी

जिंकुनीया स्वयंवर,सीतानाथ रघुमणी . . . . !

 

जानकीचा झाला नाथ ,राम दुःख निवारक

रावणास निर्दालूनी ,राम आदर्श प्रेरक. . . . !

 

विधात्याचा अभिलेख, राम भोगी वनवास

ऋषीमुनी उपदेश, रमणीय सहवास. . . . !

 

रामराज्य पहाण्याला, चौदा वर्षे गेला काळ

पापनाशी झाली धरा,यश कीर्ती घाली माळ.. . !

 

एकश्लोकी रामायण , राम कथा बोधामृत

रामलीला वर्णायला, प्रतिभेचे शब्दांमृत . . . !

 

जन्म आणि मृत्यू मधे ,राम चैतन्याचा सेतू

क्लेशमुक्त व्हावी प्रजा, राम मनी हाची हेतू. .. !

 

राम  असा राम तसा, राम कैवल्याचे धाम

कविराजे  वर्णियेला, कर्मफल रामनाम. . . !

 

श्री राम जय राम जय जय राम

 

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

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