श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी  की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपका एक व्यंग्य “वोटर की आकांक्षा”।)  

☆ व्यंग्य  # 134 ☆ वोटर की आकांक्षा ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

चुनाव में जो जीतता है वही सिकन्दर कहलाता है… भले वो पहले लल्लू पंजू कहलाता हो, येन केन प्रकारेण  कैसे भी करके जीत का मुकुट पहन लेने से सांढ़ बनने से अहंकार पैदा होता है। चुनाव में  हारने को बड़े बड़े दिग्गज हार जाते हैं और टक्कर देकर गिर  जाते हैं। 

जब चुनाव परिणाम आ रहे होते हैं  तो सांसे चलते चलते रुक जातीं हैं। आगे बढ़ने और पीछे होने के खेल में टीवी वाले विज्ञापन के जरिए खूब धन बटोर लेते हैं। परिणाम आते हैं… न आर, न पार… बहुमत मिलने के लिए पांच विधायक का कांटा फंस जाता है। जोड़ तंगोड़ करके बहुमत पे आते हैं तो रात को ढाई बजे राज्यपाल को जगाने पहुंच जाते हैं।

दूसरे दिन अस्थायी स्पीकर बनवा लेते हैं। अस्थायी स्पीकर के निर्देशन में अस्थिर सरकार को शक्ति परीक्षण कराने के निर्देश करा लेते हैं। पर जनता मजा लेना चाहती है, वह चाहती है सभी विधायक गणों से कहा जाए  कि हर विधायक जनता की आकांक्षाओं का ट्रस्टी होने के नाते जिम्मेदार विधायक होने का उदाहरण पेश करें। जनता की इच्छा है कि दोपहर दो बजे चिलचिलाती धूप में शक्ति परीक्षण किया जाए। जनता की अदालत चाहती है कि शक्ति परीक्षण के एक घंटे पहले सभी विधायक सब कपड़े उतार कर सिर्फ पट्टे की ….पहन लें, फिर नंगे पांव सड़क पर खड़े हो जाएँ और हारे लोग उन्हें इंसान और इंसानियत का पाठ पढ़ायें। फिर हर विधायक इस चिलचिलाती आग उगलती तेज धूप में नंगे पांव पांच किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए गांधी जी को याद करे। गांधी जी के भजन गाते हुए पदयात्रा निकाली जाए और ठीक दो बजे विधानसभा के सामने वाली सड़क पर नंगे पांव विधायक लाइन लगाकर खड़े हो जाएं।  यदि अस्थायी स्पीकर …. बनियान पहनकर डगमगाते नजर आयें तो समझ लेना कि बाकी विधायकों के साथ अन्याय हो रहा है, और उन्हें ठंडा ठंडा कूल कूल जौ के रस की बोतल नहीं दी गई है। 

एक दिन के लिए जनता की इच्छा है कि अस्थायी स्पीकर डगमगाते हुए लाइन में सभी विधायक की विश्वसनीयता चैक करें। वे ये देखें कि लाइन में कोई नकली विधायक तो नहीं लगा है। जनता की अदालत में जनता मूकदर्शक बनकर यह सब देखना चाहती है। जनता की आकांक्षाओं के ट्रस्टी प्रत्येक विधायक को ध्यान रखना होगा कि कोई इशारेबाजी करके बरगलाने की कोशिश करता है तो उसकी रिपोर्ट राज्यपाल को तुरंत करें। यदि कोई सौ करोड़ से ज्यादा की रकम आफर करता है तो तुरंत लाइन से अपने आप को अलग कर लें।

नयी परंपरा की शुरुआत है इसलिए विधायक होने की गरिमा का ध्यान रखते हुए अनुशासन और शान्ति का भरपूर नाटक करें। असली और अर्ध नकली देशभक्ति का सही परिचय देवें। शक्ति परीक्षण के दौरान मोबाइल पर अश्लील पिक्चर न देखें। मीडिया पर इस नयी परंपरा को पूरी दुनिया देख रही होगी इसलिए सेल्फी वगैरह न लेवें इस दौरान कोई सुंदर महिला दिख जाए तो उसे गलत निगाहों से न देखें। अस्थायी और सच्ची सरकार देने के लिए भेदभाव की नीति से दूर रहें, दल विहीन सोच के साथ सच्चे भारतीय नागरिक होने का उदाहरण पेश करे, हालांकि आज के नेताओं के लिए एक दिन के लिए ऐसा सब कुछ करना असंभव है पर पब्लिक ऐसा चाहती है और पब्लिक ये सब कुछ जानती है।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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