सुजित शिवाजी कदम

(सुजित शिवाजी कदम जी  की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं  अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं. इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं. मैं श्री सुजितजी की अतिसंवेदनशील  एवं हृदयस्पर्शी रचनाओं का कायल हो गया हूँ. पता नहीं क्यों, उनकी प्रत्येक कवितायें कालजयी होती जा रही हैं, शायद यह श्री सुजित जी की कलम का जादू ही तो है! आज प्रस्तुत है उनकी एक भावप्रवण कविता  “एक छोटासा प्रयत्न….”। आप प्रत्येक गुरुवार को श्री सुजित कदम जी की रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं। ) 

☆ साप्ताहिक स्तंभ – सुजित साहित्य #49 ☆ 

☆ एक छोटासा प्रयत्न…. ☆ 

 

एकटा एकटा घाबरतो मी

जेवढे तेवढे सावरतो मी…!

 

भेटलो मी तुला आठवतो का

बोलता बोलता चाचरतो मी…!

 

ऐवढे का मनी साठवते तू

तू मला सांगना आवरतो मी ….!

 

हे तुझे लाजणे जागवते ही

रात्रही चांदणी पांघरतो मी…!

 

ऐवढी तू मला घाबरते की

पाहता पाहता बावरतो मी…

 

का अशी सांगना रागवते तू

घेऊनी काळजी वावरतो मी…!

 

हा असा मी तुला आवडतो ना …

का सुज्या एवढा गांगरतो मी…!

 

© सुजित शिवाजी कदम

पुणे, महाराष्ट्र

मो.७२७६२८२६२६

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