श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे
( ई-अभिव्यक्ति में श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी के साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या को प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष है। आप मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित हो चुके हैं। एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन हैं । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित हो चुके हैं। आपके समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताएं प्रसारित होती रहती हैं। प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त आप विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अभी हाल ही में आपका एक काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुआ है, जिसे अपेक्षा से अधिक प्रतिसाद मिल रहा है। इस साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक इस काव्य संग्रह “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित है ।आज प्रस्तुत है उनकी एक श्रृंगारिक कविता “यामिनी“.)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या # 17 ☆
☆ यामिनी ☆
यामिनी गं कामिनी,तू गं माझी साजणी
ये जरा,जवळी अशी ये जरा
ये गं मिठीत राहू, स्वप्नगीत गाऊ
ये जरा,जवळी अशी ये जरा!!
रात्र जशी झाली ,तसा चंद्रही निघाला
तारीके तू दूर नको,जवळी ये म्हणाला
इश्यऽऽ म्हणुनी,लाजुनिया चूर चूर झाली
ये जरा जवळी अशी………!!
मध्यरात्र झाली,काम जागृत ही झाला
रती मदन तृप्तीचा, क्षण जवळी आला
एक होऊ एक राहू, एक वेळ एकदा
ये जरा जवळी अशी………!!
पहाटेस थंडगार,झुळुक जशी आली
तृप्तीच्या सागरात, डुंबुनिया गेली
देहातुनी गोड अशी शिरशिरी निघाली
ये जरा जवळी अशी …….!!
© प्रभाकर महादेवराव धोपटे
मंगलप्रभू,समाधी वार्ड, चंद्रपूर, पिन कोड 442402 ( महाराष्ट्र ) मो +919822721981
अच्छी रचना