श्री विजय कुमार

(आज प्रस्तुत है सुप्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित पत्रिका शुभ तारिका के सह-संपादक श्री विजय कुमार जी  की एक विचारणीय लघुकथा  असली कमाई)

☆ लघुकथा – असली कमाई ☆

मोहन अपने रिश्तेदारों को छोड़ने रेलवे स्टेशन पर आया हुआ था। उसका दोस्त सुमन भी उसके साथ था। गाड़ी आने में अभी कुछ समय बाकी था। तभी दो लोग रेलवे पायलट की वर्दी में वहां से गुजरे। जैसे ही उनकी नजर मोहन पर पड़ी, वह एकदम उसकी तरफ लपके और हाथ जोड़कर बड़े शिष्टाचार से बोले, “नमस्कार सर, पहचाना? मैं पायलट सचिन और यह मेरा सहायक पायलट दिलबाग। और साहब, यहां कैसे?”

मोहन ने कहा, “नमस्कार, कैसे हो बंधु? बस, यह मेरे रिश्तेदार हैं, इन्हें गाड़ी चढ़ाने आया था।“

पायलट ने कुछ इशारा किया और सहायक पायलट तुरंत चला गया। थोड़ी ही देर में वह चाय और कुछ स्नैक्स लेकर प्रकट हो गया।

“अरे यह क्या?” मोहन ने अभी वाक्य पूरा भी नहीं किया था कि पायलट बोल पड़ा, “कुछ नहीं जनाब, आप बस लीजिए।“ और उन दोनों ने बिना देर किए चाय और स्नैक्स सबको पकड़ा दिए।

“सचिन भाई, यह सब…।” मोहन कुछ बोलने को हुआ, पर सचिन ने मौका ही नहीं दिया, “क्या साहब, आप हमारा इतना ख्याल रखते हैं, तो छोटे भाई होने के नाते हमारा क्या इतना भी हक नहीं बनता। प्लीज सर, बुरा मत मानना इसके लिए। अच्छा चलते हैं, नमस्कार।” कह कर दोनों चले गए। इतने में ही गाड़ी के आगमन की घोषणा हो गई और वह खा-पी कर अपना सामान संभालने लगे।

रिश्तेदारों को गाड़ी में बैठाकर जब वह बाहर निकले, तो सुमन ने पूछ ही लिया, “यह क्या था?”

मोहन, “कुछ नहीं, अपने स्टाफ के ही हैं। दरअसल मैं हेडक्वार्टर में हूं, और इनका डीलिंग क्लर्क हूं। इनकी ट्रांसफर-प्रमोशन मेरे द्वारा ही डील होती हैं। मैं अपना कर्तव्य समझकर समय से पहले ही इनका काम पूरा करने की कोशिश करता हूं, तो पूरा स्टाफ भी मेरी बहुत इज्जत करता है। अब तुम सोचो कि यदि मैं थोड़े बहुत रुपयों के लालच में, जैसा कि मेरे कई साथी करते भी हैं, इनका काम रोकूँ, इन्हें परेशान करूं, और फिर कुछ ले-देकर इनका काम करूं, तो मैं कितना धन इकट्ठा कर लूं, परंतु जो इज्जत ऐसे यह मेरी मेरे रिश्तेदारों या जान-पहचान वालों में करते हैं, क्या यह इज्जत मैं कभी पा सकता हूं? मेरे लिए तो यही असली कमाई है…।”   

“यह तो है।” सुमन को भी उसका दोस्त होने पर गर्व हो रहा था।

©  श्री विजय कुमार

सह-संपादक ‘शुभ तारिका’ (मासिक पत्रिका)

संपर्क – # 103-सी, अशोक नगर, नज़दीक शिव मंदिर, अम्बाला छावनी- 133001 (हरियाणा)
ई मेल- [email protected] मोबाइल : 9813130512

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Dr.Suman

बेहतरीन

रश्मि लहर

बहुत अच्छी लघुकथा, शुभकामनाएं