श्री मच्छिंद्र बापू भिसे
(श्री मच्छिंद्र बापू भिसे जी की अभिरुचिअध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ साहित्य वाचन, लेखन एवं समकालीन साहित्यकारों से सुसंवाद करना- कराना है। यह निश्चित ही एक उत्कृष्ट एवं सर्वप्रिय व्याख्याता तथा एक विशिष्ट साहित्यकार की छवि है। आप विभिन्न विधाओं जैसे कविता, हाइकु, गीत, क्षणिकाएँ, आलेख, एकांकी, कहानी, समीक्षा आदि के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी रचनाएँ प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आप महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामंडल द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी अध्यापक मित्र’ त्रैमासिक पत्रिका के सहसंपादक हैं। अब आप प्रत्येक बुधवार उनका साप्ताहिक स्तम्भ – काव्य कुञ्ज पढ़ सकेंगे । आज प्रस्तुत है उनकी नवसृजित कविता “सवाल अभी बाकी हैं…”।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – काव्य कुञ्ज – # 3☆
☆ सवाल अभी बाकी हैं… ☆
कहीं धूप तो कहीं छाँव,
कहीं सुख तो कहीं दुःख,
कहीं जन्म तो कहीं मृत्यु,
कहीं अपना और कहीं दूजा भी है,
कभी मेरा है कभी तेरा है,
कभी मैं-मैं और कभी तू-तू है,
न जाने कितना कहीं
और कितना क्या-क्या है.
इस पहेली को सुलझाने के पीछे हर एक है,
शायद कहीं की हाँ और ना,
भविष्य की सोच में,
है और था में,
खुद को भूल गया,
आज हर एक है,
सँभालो मेरे प्यारों!
अभी का वक्त अपना-अपना,
इसे बनाए शाश्वत जीवन सपना.
न जाने कब साँस छूटे एक पल में,
और तमाशा देखनेवाले खुदा करें,
अपना ही तमाशा बना न करें,
चलो आज के पल में कुछ ऐसा करें,
हर दिल में अपना एहसास भरें,
फिर चाहे साँस का साथ लूटे,
चाहे अपनों का हाथ छूटे.
फिर देखना तमाशबीन और चिता की लौ को,
और भी धधकेगी कि वह,
आक्रोश और क्रंदन से,
नफरत के बदले प्यार में,
हर आँसू टपकेगा तुम्हारी याद में,
देखकर तेरे जीवन का शाश्वत तमाशा,
ऊपरवाला तमाशबीन रो पड़ेगा इस द्वंद्व में,
क्यों बनी मेरी हाथ से यह सूरत,
जिसकी बनेगी मेरे कारण धरती पर मूरत,
क्या हक है उसके अधीन विश्वास को तोड़ने का ?
हर एक रिश्ते को बिखरने का ?
वह ईश भी सोच में पड़े,
ऐसा चलो एक काम करें,
उस ईश पर हम हँस पड़े,
होकर उसके सामने खड़े,
करें एक सवाल उसे,
क्यों यह दुनियावाले फिर
क्षणिक सुख के पीछे है पड़े?
कई सवाल करेंगे,
कई बवाल करेंगे,
पर क्या मानव अपने रास्ते,
खुद ही चुनेंगे?
सवाल अभी बाकी हैं……….
© मच्छिंद्र बापू भिसे
भिराडाचीवाडी, डाक भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा – ४१५ ५१५ (महाराष्ट्र)
मोबाईल नं.:9730491952 / 9545840063
ई-मेल: [email protected] , [email protected]
बहुत ही सुन्दर, बहुत सारे प्रश्न के उत्तर अभी बाकी है, लेखक की सोच बहुत ही उम्दा है, उन्हें बधाई