श्री हरभगवान चावला
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – पहरा )
☆ लघुकथा – पहरा ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
मैं दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। मेरे शिक्षक ने कहा – सोच पर पहरा नहीं होता। जो जी में आए, लिखो। मैंने डायरी लिखना शुरू किया।
मेरी शादी तय हो गई। माँ ने कहा – औरतों को सोच पर पहरा लगाना आना चाहिए। मेरी सारी डायरियाँ जला दी गईं।
अब मेरी बेटी दसवीं में पढ़ती है और डायरी लिखती है…!
© हरभगवान चावला
सम्पर्क – 406, सेक्टर-20, हुडा, सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈