सूचनाएँ/Information ☆ विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार सम्मानित ☆ प्रस्तुति – सुश्री इंदिरा किसलय ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार सम्मानित🌹

विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की ओर से पुरस्कृत साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।

उस अवसर पर हिन्दी मराठी एवं बांग्ला उपन्यासों पर विशद चर्चा संपन्न हुई। हिन्दी उपन्यासों की श्रृंखला में प्रासंगिक रूप से गीतांजलि श्री के उपन्यास “रेत समाधि” पर डाॅ वीणा दाढ़े ने महीन विश्लेषण श्रोताओं के समक्ष रखा। डाॅ भट्टाचार्य ने बांग्ला उपन्यासों की भूमिका स्पष्ट की।

सुप्रिया अय्यर के उपन्यास पर एक अति उत्कृष्ट नाटिका पेश की गयी।पुरस्कृत साहित्यकारों की ओर से दो शब्द कहते हुये इन्दिरा किसलय ने भाषायी सौहार्द्र की दृष्टि से अनुवाद की महत्ता रेखांकित की। इतिहास में चलें तो शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने काशी से पंडित बुलाकर उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवाया था और स्वयं गीता का अनुवाद फारसी में किया था।

अगर जर्मन विद्वान गेटे न होते तो कालिदासकृत अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सौंदर्य से विश्व वंचित रह जाता। रूसी विद्वान वारान्निकोव न होते तो रूस में रामचरितमानस और प्रेमचंद की कृतियों की महत्ता प्रकाश में आने से रह जाती।

भारत में 10 करोड़ मराठीभाषी हैं।12 वीं शती से अपना इतिहास दर्ज करनेवाली मराठी एक सक्षम भाषा है। इसकी लिपि देवनागरी है।

हिन्दी एवं मराठीभाषी रचनाकारों के मध्य सेतु निर्माण का सारा श्रेय रियाज़ के अध्यक्ष श्री दिलीप म्हैसाळकरजी को जाता है।

साभार –  सुश्री इंदिरा किसलय 

नागपुर, महाराष्ट्र   

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ स्वास्थ्य संसद 2023: अमृत तत्व-1 ☆ प्रस्तुति – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹स्वास्थ्य संसद 2023: अमृत तत्व-1 ☆ प्रस्तुति – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव🌹

पत्रकार पुरोहित की तरह होते हैः स्वामी ज्ञानेश्वरी

भविष्य की बीमारियों को बताएगा जीनोम सिक्वेंसिंग: गौरव श्रीवास्तव

  • 140 करोड़ लोगों के बीच में मात्र 11 हॉस्पिस
  • 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने में जिनोम सिक्वेंसिंग हो सकता है सहायक
  • 77 हजार तकनीकि विशेषज्ञों पर सरकार ने किया है निवेश

नयी दिल्ली/भोपाल। भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस में स्वस्थ भारत (न्यास) के 8 वें वर्षगांठ पर तीन दिवसीय ‘स्वास्थ्य संसद 2023 का आयोजन हुआ। इस आयोजन में देश भर के स्वास्थ्य संचारक, विचारक एवं अकादमिक लोगों ने भाग लिया। तीन दिनों तक चले मैराथन अमृत-मंथन में अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य एवं मीडिया की भूमिका विषय पर अमृत-चिंतन हुआ। इस चिंतन से निकले अमृत तत्व की पहली किस्त में आज आप पढिए हॉस्पिस, जबलपुर की संस्थापिका स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी एवं हैस्टेक एनालिटिक्स के सीओओ गौरव श्रीवास्तव के विचारों को। 

हास्पिस अस्पताल की संस्थापिका स्वामी ज्ञानेशवरी दीदी ने कहा कि, ‘अभाव में चलते हुए और हर दिन एक नई समस्या का सामना करते हुए भी भाई आशुतोष कुमार सिंह और उनकी पत्नी प्रियंका एवं उनके साथियों ने स्वास्थ्य संसद के रूप में इतना बड़ा एक मंच तैयार किया है, जहां से आज भारत के आखिरी व्यक्ति के स्वास्थ्य समस्या के समाधान पर विचार और उपाय निकालने के लिए हम सभी यहां एकजुट हुए है।’ स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी ने आगे कहा कि, ‘उनके गुरु पूजनीय श्री बांवरा जी महाराज कहते थे कि मीडिया एक पुरोहित की तरह है। जैसे हर घर का पुरोहित होता है वो जो किसी कार्य और उत्सव के लिए दिन और तिथि बताता है और हम उस पर विश्वास करके मानते है। पत्रकार भी उसी पुरोहित की तरह हैं।’

उन्होंने अपने अस्पताल के बारे में बताते हुए कहा कि, हमारा अस्पताल कैसर पीड़ित उन मरीजों को समर्पित हैं जिन्हें डॉक्टर और परिजन भी त्याग देते हैं। यानी अंतिम घड़ी आने पर। यह अमेरिका और ब्रिटेन में काफी चलन में है। हमने 2013 में विराट हॉस्पिस शुरू की। अभी तक भारत में केवल 11 हॉस्पिस है जबकि आबादी 140 करोड़ से अधिक। हास्पिस के जिक्र का मकसद यह है कि मीडिया इस मंच से उठे ऐसी व्यवस्था पर भी सरकार का ध्यान खीचने में मदद करें। मीडिया को कृषि क्षेत्र पर भी फोकस करने की जरूरत है ताकि फसल उत्पादन में जानलेवा खाद का उपयोग बंद हो। ऐसे अन्न और सब्जियां या दूषित दूध का सेवन तो कैंसर की ही सौगात देगा। रोगमुक्त जीवन के लिए जरूरत जैविक खाद के प्रयोग की है।

जिनोम सिक्वेंसिंग के क्षेत्र में काम कर रही अग्रणी कंपनी हेस्टैक ऐनलिटिक्स, मुंबई के को फाउंडर गौरव श्रीवास्तव ने कहा कि आयुष्मान भारत के संकल्प को पूरा करने में जिनोमिक्स तकनीक की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि देश में टीबी के निर्मूलन और उपचार के क्षेत्र में एडवांस जिनोमिक्स तकनीक लाखों मरीज़ों को सटीक उपचार की ओर ले जाने की क्षमता विकसित कर सकती है। पहले भी इसका लाभ हज़ारों मरीज़ों को मिल चुका है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके इनोवेटिव आइटी समाधान को ग्राहम बेल अवार्ड तथा स्टार्ट अप ऑफ द ईयर का सम्मान दिया जा चुका है।

उन्होंने आगे बताया कि यह तकनीक आने वाले सालों में जीनोम सीक्वेंस् का अध्ययन कर मरीज पर प्रभाव डालने वाले वायरस, बैक्टीरिया और बीमारी से कौन दवा बचायेगी और किस बीमारी में कौन ज्यादा कारगर होगी, का चुनाव करने में काफी कारगर साबित होगी। मसलन बैक्टीरिया जनित रोग टीबी में मरीज को 4 एंटीबॉयटिक खाने होते हैं। इसमें ज्यादातर मामलों में बैक्टीरिया तीन दवा के प्रति रीज़िस्टेंस पावर अर्जित कर लेता है। ऐसे में 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए यूके और यूएस में सफल हो चुकी जीनोम सीक्वेंस तकनीक को भारत में लॉन्च करके हेस्टैक एनलिटिक्स ने ना केवल सरकार के सपने को बल्कि आम जनता को भी सही इलाज दिलाने में कारगर पहल की है।

गौरव श्रीवास्तव ने कहा कि, यह काफी हर्ष का विषय है कि भारत के स्वास्थ्य और तकनीक विकास की ओर पूरी दुनिया देख रही है। आने वाला समय भारत का और भारत की तकनीक का है। कोविड में भारत ने न केवल वैक्सीन बनायी बल्कि विकसित देशों में भी भेजी। भारत में लगभग 4000 स्टार्ट-अप ऐसे हैं जो नई तकनीक पर काम कर रहे है। सरकार ने पिछले 10 साल में 77  हजार लोकल तकनीकी विशेषज्ञों पर निवेश किया है। उम्मीद है कि भारत आने वाले 25 वर्षों में विश्व के स्वास्थ्य के लिए तकनीकी और हेल्थ केयर सर्विस में क्रांति लाने वाला देश बन जायेगा। तब भारत ही दुनिया को लीड करेगा।

इसके पूर्व स्वस्थ्य संसद के सभापति एवं एमसीयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.जी.सुरेश, उपसभाति एस.के.राउत (से.नि. डीजीपी,मध्य प्रदेश), स्वस्थ भारत (न्यास) के चेयरमैन एवं स्वास्थ्य संसद के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह, सी-20 समाजशाला के आउटरिच समन्वयक एवं वरिष्ठ विज्ञान संचारक डॉ.मनोज पटेरिया, स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी, गौरव श्रीवास्तव एवं अन्य गणमान्यों ने दीप प्रज्ज्वलन कर स्वास्थ्य संसद का उद्घाटन किया।

साभार –  श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव 

भोपाल, मध्यप्रदेश

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ प्रवासी लेखकों की जांच पड़ताल

देश के साहित्यकारों के अलावा प्रवासी लेखकों की भी एक दुनिया है । इन पर भी कुछ बात और कुछ जाच पड़ताल जरूरी लगती है । ये भारत से ही विदेशों में गये लेखक हैं । ये आमतौर पर नवम्बर से लेकर फरवरी के बीच समय समय पर भारत आते हैं और प्रवासी लेखन पर संगोष्ठियां या अपनी पुस्तकों के विमोचन आदि के कार्यक्रम रखते हैं । मारिशस से अभिमन्यु अनंत और रामदेव धुरंधर लेकिन अब अभिमन्यु नहीं रहे, इंग्लैंड से तेजेन्द्र शर्मा, अमेरिका से सुधा ओम ढींगरा गुरबचन कौर नीलम आदि बहुचर्चित रचनाकार इसी श्रेणी में आते हैं । यही नहीं सुधा ओम ढींगरा तो वहां सामाजिक काम भी बढ़चढ़कर कर रही हैं तो दूसरी ओर सीहोर(मध्यप्रदेश) से पंकज सुबीर के सहयोग से विभोम स्वर नामक स्तरीय पत्रिका का प्रकाशन संचालन भी कर रही हैं । पहले वे चेतना से जुड़ी थीं । फिर अपनी ही पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया और पुरस्कार भी देने शुरू किये । इस तरह सुधा ओम ढींगरा को जैसे हिदी साहित्य के प्रचार प्रसार की विदेश में भी पूरी पूरी चिंता है। इसी प्रकार तेजेंद्र शर्मा भी जहां पुरवाई पत्रिका निकालते हैं वहीं कथा पुरस्कार भी शुरू कर रखा है । यमुनानगर से विदेश में बसीं डाॅ कविता वाचक्नवी भी सक्रिय है । यमुनानगर से ही विदेश में रह रहीं अरूणा सभ्रवाल भी सक्रिय हैं । कुछ वर्ष रश्मि खुराना विदेश में रहीं, आजकल फिर जालंधर लौट आई हैं । आजकल मोहन सपरा भी कनाडा में हैं और इसी वर्ष लौट आयेंगे । अमेरिका में बसीं नवांशहर के निकट के गांव बैसां की गुरबचन कौर नीलम ने लघुकथा पर हर रविवार को ऑनलाइन कार्यक्रम शुरू कर रखा है जो धीरे धीरे लोकप्रिय हो रहा है । अमेरिका में ही स्वाति शशि भी सक्रिय हैं । इनके लिये सैल्यूट तो बनता है न ! विदेश में रहते हुए भी हिंदी का परचम फहराया हुए हैं ये लोग !

कथा बिम्ब के डाॅ अरविंद नहीं रहे : यह बहुत ही दुखद समाचार है कि मुम्बई से पिछले कम से कम चालीस साल से ऊपर प्रकाशित हो रही कथा पत्रिका कथा बिम्ब के संपादक-प्रकाशक डाॅ अरविंद नहीं रहे । यह पत्रिका ऐसे दौर में भी प्रकाशित होती रही जब व्यावसायिक कथा पत्रिका सारिका सहित अन्य कथा पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया । कथा बिम्ब ने कथाओं पर वार्षिक पुरस्कार भी शुरू कर रखे थे और अनेक स्तम्भ भी जो बहुत लोकप्रिय थे । पर एक खुशी की बात भी है कि कथा बिम्ब का प्रकाशन बंद नहीं होगा । यह प्रवोध गोविल और नीरज दइया ने जयपुर में संभाल लिया है और इसका पहला अंक इनके संपादन में आ भी गया है । असल मे एक समय प्रबोध गोविल मुम्बई रहते थे और इसी पत्रिका का सहसंपादन करते थे । जब डाॅ अरविंद की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्होंने अपने पुराने मित्र से सम्पर्क किया और उन्हें कथा बिम्ब का प्रकाशन जारी रखने के लिये मना लिया । इसके तुरंत बंद ही वे दुनिया को आखिरी सलाम कह गये । पर कथा बिम्ब के निरंतर प्रकाशन की व्यवस्था करके ! यह लौ जलती रहे । यही सच्ची श्रद्धांजलि है ।

गधे की बारात : जिला हिसार के गांव भिवानी रोहिल्ला के महारानी लक्ष्मी बाई कन्या महाविद्यालय में रोहतक के चर्चित रंगकर्मी विश्व दीपक त्रिखा के निर्देशन में हास्य व व्यंग्य नाटक गधे की बारात का मंचन किये गया । विश्व दीपक त्रिखा इस नाटक के सौ से ऊपर मंचन कर चुके हैं । कल्लू कुम्हार की भूमिका में अविनाश सैनी ने शानदार अभिनय किया । असल में वही इस नाटक की धुरी थे । अन्य कलाकारों ने भी अच्छा अभिनय किया । नगाड़े पर सुभाष नगाड़ा रहे जो इसके लिये बहुत चर्चित कलाकार हैं । नीतिका ने भी गंगी के रोल में जान डाल दी । डेढ़ घंटे तक न केवल हास्य बल्कि आज के समय, समाज और राजनीति पर चुटीले कटाक्ष किये गये । महारानी लक्ष्मी बाई महाविद्यालय के चेयरमैन भारत भूषण प्रधान और प्रिंसिपल डाॅ शमीम शर्मा की कोशिश रहती है कि दूरदराज गांव में भी छात्राओं को ऐसे कार्यक्रम दिखाते रहें।

प्रेरणा अंशु का लघुकथा विशेषांक : दिनेशपुर से पिछले 39 साल से निरंतर प्रकाशित हो रही पत्रिका प्रेरणा अंशु व अम्बाला छावनी से पचास साल से प्रकाशित हो रही पत्रिका शुभतारिका ने लघुकथा विशेषांकों की घोषणा की है ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सुश्री राधिका भांडारकर – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सुश्री राधिका भांडारकर

💐अ भि नं द न 💐

आपल्या समूहातील सुप्रसिद्ध लेखिका व कवयित्री सुश्री राधिका भांडारकर यांना, “आम्ही सिद्ध लेखिका“ या राज्यस्तरीय मंचातर्फे जागतिक महिला दिनानिमित्त आयोजित राज्यस्तरीय कथास्पर्धेत, उत्तरायण या त्यांच्या कथेसाठी द्वितीय क्रमांकाचे पारितोषिक मिळाले आहे.

आजच्या अंकात वाचूया ही पुरस्कारप्राप्त कथा. 

💐 या पुरस्काराबद्दल राधिकाताईंचे ई-अभिव्यक्ती संपादक मंडळातर्फे हार्दिक अभिनंदन आणि पुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा💐

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचनाएँ/Information ☆ हिंदी आंदोलन परिवार का वार्षिक हिंदी उत्सव सम्पन्न हुआ ☆ साभार – क्षितिज ब्यूरो, पुणे ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 हिंदी आंदोलन परिवार का वार्षिक हिंदी उत्सव सम्पन्न हुआ 🌹

जब तक बच्चा जन्म लेता रहेगा, तब तक भारतीय भाषाएँ जीवित रहेंगी। जितना भाषा से कटेंगे, उतना संस्कृति से भी कटते जाएँगे। साहित्य और संस्कृति से दूर जाना अर्थात अपने देश से दूर जाना। हमारी मानसिकता ने संस्कृत और भारतीय भाषाओं को हाशिए पर ला दिया है। हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी और अपनी भाषा का आग्रह रखना होगा। भारतीय साहित्य की ब्रांडिंग करनी होगी। ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें पाठक पुस्तकें खरीदें ताकि साहित्य का समुचित प्रसार हो सके।

उपरोक्त विचार सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर विजय कुमार रोडे के हैं। हिंदी आंदोलन परिवार के वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह में उपस्थित जनो को वे कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे।

हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक, अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज ने विश्व पुस्तक दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम को प्रासंगिक बताया। आपने कहा कि हिआंप की 28 वर्ष की यात्रा में ध्येयनिष्ठा, अविराम श्रम, अनुशासन और समर्पित कार्यकर्ताओं का बड़ा योगदान है। मासिक साहित्यिक गोष्ठियाँ संस्था की प्राणवायु हैं। हिंआंप अब तक 285 गोष्ठियाँ कर चुका। 500 से अधिक रचनाकारों को मंच दे चुका। हर वार्षिकोत्सव में संचालन का दायित्व एक नये व्यक्ति को देना हिंआंप की एक और विशेषता है। बटोरकर बड़ा होने के समय में बाँटकर बड़ा होने का हिंआंप अनुपम उदाहरण है। उबूंटू अर्थात हम हैं इसलिए मैं हूँ का चैतन्य प्रतीक है हिआंप हिंआंप द्वारा प्रतिवर्ष दिये जानेवाले हिंदीभूषण और हिंदीश्री सम्मान, योग्यता और पुरस्कार का संतुलन दर्शाते हैं। बिना किसी अनुदान के अपने सदस्यों के दम पर खड़ा यह संगठन, इस क्षेत्र के सर्वाधिक सक्रिय संगठनों में से एक है। आप हैं तो हिंआंप है

हिंआप के वार्षिक हिंदी उत्सव में देवनागरी लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए जीवन समर्पित करने वाले प्रा. लछमण हरद्वाणी को हिंदीभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। उनके अस्वस्थ होने के कारण उनके प्रतिनिधि के रूप में डॉ. सदानंद महाजन ने पुरस्कार ग्रहण किया। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत ई-अभिव्यक्ति के सम्पादक श्री हेमंत बावनकर और वरिष्ठ साहित्यकार अलका अग्रवाल को हिन्दीश्री सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान में स्मृतिचिह्न, शॉल, नारियल एवं तुलसी का पौधा प्रदान किया गया।

डॉ. महाजन ने अपने वक्तव्य में प्रा. हरद्वाणी के साथ अपने 57 वर्ष पुरानी मित्रता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सिंधी के लिए देवनागरी लिपि का उपयोग करने के लिए प्रा. हरद्वाणी को अनेक बार उपेक्षा का शिकार भी होना पड़ा। अपने लक्ष्य पर अडिग रहनेवाले इस भाषासेवी के योगदान को सम्मान देने के लिए उन्होंने हिंदी आंदोलन परिवार की प्रशंसा की।

श्री हेमंत बावनकर ने अपनी साहित्यिक यात्रा के विभिन्न पड़ावों को याद किया। ई-अभिव्यक्ति को अब तक 5 लाख से अधिक पाठक देख चुके हैं। पत्रिका में अबतक 16480 रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। दैनिक पत्रिका की निरंतरता के लिए उन्होंने अपने लेखकों और पाठकों के प्रति आभार प्रकट किया।

श्रीमती अलका अग्रवाल ने उस घटना को याद किया जिससे क्षुब्ध होकर उन्होंने पहली बार अपनी भावनाओं को काग़ज़ पर उतारा था। उसके बाद से लेखन का सिलसिला आरम्भ हुआ जो अब तक दस पुस्तकों की संपदा उनके नाम कर चुका है। अपनी साहित्यिक यात्रा में हिंआंप की प्रेरणा और मासिक गोष्ठियों का उन्होंने विशेष उल्लेख किया। साथ ही उनके योगदान को मान्यता देने के लिए हिंआंप का धन्यवाद किया।

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने पिछले दिनों गत तीन वर्ष के पुरस्कारों की घोषणा की थी। इनमें हिंआंप के डॉ. रमेश मिलन (नाटक), श्रीमती वीनु जमुआर (जीवनी), डॉ. नंदिनी नारायण (अनुवाद) और श्रीमती अलका अग्रवाल (बाल कहानियाँ) के नाम सम्मिलित थे। इस समारोह में संस्था ने इन चारों साहित्यकारों को भी सम्मानित किया।

पुणे के प्राइड होटल को इस वर्ष का अन्नपूर्णा सम्मान दिया गया। गत वर्ष के लिए यह सम्मान श्रीमती अरविंद तिवारी को दिया गया।

कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत वक्तव्य सुधा भारद्वाज ने किया। अतिथियों का परिचय डॉ.लतिका जाधव, पुष्पा गुजराथी, प्राजक्ता अभ्यंकर ने दिया।

कार्यक्रम के पूर्वार्द्ध में क्षितिज इंफोटेनमेंट द्वारा नामचीन साहित्यकारों की रचनाओं पर आधारित ‘मेरी भाषा के लोग’ नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसका लेखन- संचालन संजय भारद्वाज ने किया। इसमें डॉ. रजनी रणपिसे, स्वरांगी साने, अनुजा पंडित, अपर्णा कडसकर, कंचन त्रिपाठी, ऋता सिंह और रेखा सिंह ने प्रस्तुतियाँ दीं।

हिंदी उत्सव का प्रभावी संचालन पूर्णिमा पांडेय ने किया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय संख्या में साहित्यकार, भाषा प्रेमी और अन्य गणमान्य उपस्थित थे। इनमें साप्ताहिक हडपसर एक्सप्रेस के संपादक श्री दिनेश चंद्रा भी सम्मिलित थे। प्रीतिभोज के बाद आयोजन ने विराम लिया।

साभार – क्षितिज ब्यूरो, पुणे

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सुश्री सुमन किराणे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सुश्री सुमन किराणे

💐अ भि नं द न 💐

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री सुमन किराणे यांचा सुमनांजली हा काव्यसंग्रह नुकताच प्रकाशित झाला आहे.

💐  ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.💐

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचनाएँ/Information ☆ व्यंग्यम रचना पाठ गोष्ठी – अविराम यात्रा ☆ प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

🌹व्यंग्यम रचना पाठ गोष्ठी – अविराम यात्रा🌹

ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी की जन्मशती पर जबलपुर की ‘व्यंग्यम’ संस्था ने तय किया है कि इस बार साल भर चलने वालीं व्यंग्यम की मासिक रचना पाठ गोष्ठियां परसाई जी को समर्पित होंगी। परसाई जी की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से 42 साल पहले जबलपुर से व्यंग्यम पत्रिका निकलती थी, उस समय देश की एकमात्र पत्रिका, जो पूर्णतः व्यंग्य को समर्पित थी, व्यंग्यम की याद में व्यंग्य को केंद्र में रखकर 68 माह से लगातार व्यंग्यम गोष्ठियों का प्रति माह आयोजन होता है।

जय नगर स्थित जय प्रकाश पाण्डेय के निवास पर आयोजित अप्रैल (2023) माह की गोष्ठी में हरिशंकर परसाई के जन्मशती पर होने वाले आयोजन कर चर्चा हुई और सुझाव मांगे गए। प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ कुंदन सिंह परिहार की अध्यक्षता में गोष्ठी प्रारंभ हुई, जिसमें नौ व्यंग्यकारों ने अपनी अपनी नवीनतम रचनाओं का पाठ किया। श्री विजय तिवारी किसलय जी ने “ईमानदारी और शराफत के ठहाके”, यशोवर्धन पाठक जी ने “होम करते हाथ जले”, ओपी सैनी जी ने “नेतागिरी” , जय प्रकाश पांडेय जी ने “निवास की महारानी की लंदन में अंग्रेजों से बातचीत”, अभिमन्यु जैन जीचलो दिलदार चलो” , राकेश सोहम जी ” महाशय !यह गीले आटे का आशय”,  दिनेश अवस्थी जी ने “कोढ़”, रमेश सैनी जी ने “रामलाल की चिंता” और डॉ कुंदन सिंह परिहार जी ने “कथा एक पुल के उद्घाटन की

गोष्ठी का संचालन रमेश सैनी और आभार प्रदर्शन जयप्रकाश पांडेय ने किया। इस अवसर पर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्म शताब्दी अवसर पर एक आयोजन करने की योजना पर चर्चा की । गोष्ठी के अंत में दिल्ली के डाॅ राजेश कुमार एवं डॉ लालित्य ललित के सम्पादन में ज्ञानमुद्रा प्रकाशन से प्रकाशित “हमारे समय के धनुर्धरी व्यंग्यकार” पुस्तक वितरित की गई जिसमें रमेश सैनी, जय प्रकाश पाण्डेय,और राकेश सोहम की रचनाएं छपी है। ये प्रतियां भोपाल के ज्ञानमुद्रा प्रकाशन द्वारा डाक से भेजीं गईं थीं।

साभार –  श्री जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765  

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ राजकीय पत्रिकाओं का योगदान कितना ?

देश भर में राजकीय साहित्यिक पत्रिकाओं का प्रकाशन लम्बे समय से हो रहा है। हरियाणा साहित्य अकादमी की हरिगंधा, हिमाचल से हिमप्रस्थ और गिरिराज साप्ताहिक, जम्मू कश्मीर से शिराजा, उत्तर प्रदेश सरकार की उत्तरप्रदेश, राजस्थान साहित्य अकादमी की मधुमति, दिल्ली से इंद्रप्रस्थ भारती, साहित्य अकादमी की समकालीन भारतीय साहित्य, पंजाब के भाषा विभाग से पंजाब सौरभ आदि पत्रिकायें मेरे ध्यान में हैं। इनके अतिरिक्त भी हो सकती हैं। इन पत्रिकाओं में हिमप्रस्थ और शीराजा ने तो विशेषांक भी दिये हैं और हरिगंधा भी महिला विशेषांक नियमित हर वर्ष मार्च माह में प्रकाशित करता है। समकालीन भारतीय साहित्य का तो हर अंक ही विशेषांक के समान होता है। इसी प्रकार केंद्र सरकार की ओर से आजकल भी एक चर्चित पत्रिका है। इसके बावजूद अनेक राजकीय पत्रिकायें लेखकों को दिये जाने वाले पारिश्रमिक से ही वार्षिक शुल्क काटने की पेशकश करती हैं और इस तरह इनकी सर्कुलेशन चलती रहती है जिसे अधिकांश लेखक पसंद तो नहीं करते लेकिन कुछ कह भी नहीं सकते ! क्या इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं ? इन पत्रिकाओं के प्रचार-प्रसार पर अलग से योजना बनाई जानी चाहिए। यह मेरा विचार है। यह मेरा अनुभव भी है जिन दिनों हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष के रूप में जिम्मेवारी मिली और कथा समय मासिक पत्रिका प्रकाशित की। तब इस परंपरा से कुछेक लेखकों ने जब इस तरह शुल्क काटने पर विरोध किया एक लेखक होने के नाते तब मुझे इसकी गंभीरता पता चली। दूसरे इन पत्रिकाओं का निरंतर चर्चा होना चाहिए। बुक स्टाॅल्ज पर रखी जानी चाहिएं। कुछ पत्रिकायें उपलब्ध हैं और बिक्री भी होती है। फिर भी और प्रयास किये जाने चाहिएं।

हिसार में चुपके चुपके महकी गजल :  पाठक मंच की ओर से गीत गजल का कार्यक्रम करवाया गया जिसमें गजल महकी और वह भी चुपके चुपके ! प्रसिद्ध गजल गायक व हिसार के ही मूल निवासी सुशील चावला, राजेश राजपालईशा खन्ना ने अपनी अपनी प्रस्तुतियां  देकर समां बांध दिया जबकि ये रिश्ता क्या कहलाता है, दिल दियां गल्लां, सास बिना ससुराल जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों की लेखिका मुनीष राजपाल ने अपनी लेखन कला व रंगमंच के सफर की शानदार जानकारी दी। सुशील चावला और मुनीषराजेश राजपाल संयोगवश शहर में थे और उन्हें पाठक मंच ने आमंत्रित कर लिया। कार्यक्रम की मुख्यातिथि प्रसिद्ध समाज सेविका पंकज संधीर थीं और उन्होंने कहा कि इस छोटे से कार्यक्रम ने मुझे बहुत ताजगी प्रदान की है और उन्हें यह भी खुशी है कि हिसार के कलाकार मुम्बई में अपनी पहचान ही नहीं बना रहे बल्कि मजबूती से कदम जमा रहे हैं। यह भी खुशी की बात है कि सीनियर माॅडल स्कूल के दो छात्र सुशील चावला और राजेश राजपाल ने कला क्षेत्र में कितना सफर तय कर लिया है। इनके प्रोजेक्ट में भी सहयोग देने का विश्वास दिलाया।

सुशील चावला ने चुपके चुपके रात दिन, मांयें नी मेरिये, चम्बा कितनी कू दूर, मैंनू तेरा शबाब लै बैठा, चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला आदि विभिन्न रंग के गीत व गजल आदि सुनाये और वाह-वाह लूटी। इसी प्रकार डाॅ ईशा खन्ना ने उमराव जान की लोकप्रिय गजल -इन आखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं और आज जाने की जिद्द न करो जैसे बहुत कर्णप्रिय गीत/गजल प्रस्तुत किये। इसी प्रकार राजेश राजपाल ने आने वाला पल जाने वाला है गाकर सबको आनंदित कर दिया। राजेश राजपाल मुम्बई में फिल्म महोत्सव सीरियल निर्देशक हैं। इस अवसर पर अमरनाथ प्रसाद, पूनम चावला, राकेश मलिक, रश्मि, नीलम सुंडा, गीतकार सतीश कौशिक, नीलम भारती आदि मौजूद थे।

शुभतारिका के दो विशेषांक : हरियाणा के अम्बाला छावनी से पिछले पचास वर्ष से प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका शुभतारिका ने दो विशेषांकों की घोषणा की है – व्यंग्य विशेषांक और लघुकथा विशेषांक। सबसे दिलचस्प बात यह है कि संभवतः अकेली शुभतारिका ऐसी पत्रिका है जिसकी ओर से छठवाँ लघुकथा विशेषांक प्रकाशित किये जाने की घोषणा की गयी है। यह बहुत ही सराहनीय है।

विजय को सम्मान : दिल्ली के रंगकर्मी विजय को पुणे की संस्था ने रंगकर्म के क्षेत्र में किये गये योगदान के लिये सम्मानित किया है। बधाई

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सौ. नीला देवल – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सौ. नीला देवल

💐अ भि नं द न 💐

आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका सौ. नीला देवल यांची ‘अग्निशिखा’ ही ऐतिहासिक कादंबरी  नुकतीच प्रकाशित झाली आहे.

💐 सौ.नीला देवल यांचे या अभ्यासपूर्ण कादंबरीबद्द्ल ई-अभिव्यक्ती समुहातर्फे हार्दिक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.💐

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – हेमन्त बावनकर – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

हेमन्त बावनकर

💐अ भि नं द न 💐

ई-अभिव्यक्ती समुहाचे मुख्य संपादक श्री. हेमंतजी बावनकर यांना हिंदी आंदोलन परिवार या संस्थेतर्फे हिंदी साहित्याच्या प्रसाराबद्द्ल ‘हिंदीश्री’ हा सन्मान जाहीर झाला आहे. आपणा सर्वांसाठी ही आनंदाची व अभिमानाची घटना आहे.

💐 अभिव्यक्ती परिवार तर्फे श्री बावनकर यांचे हार्दिक अभिनंदन ! 💐

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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