हेमन्त बावनकर
☆ ई-अभिव्यक्ति – एक संवाद ☆ हेमन्त बावनकर ☆
प्रिय मित्रो,
ई-अभिव्यक्ति के सभी प्रबुद्ध लेखकगण तथा पाठकगण के आत्मीय स्नेह के लिए हृदय से आभार।
अक्तूबर २०२५ में आपकी प्रिय वैबसाइट ने सफल ७ वर्ष पूर्ण किये हैं एवं १५ अगस्त २०२५ को ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ने अपने सफल ५ वर्ष पूर्ण कर लिए हैं।
इन पंक्तियों के लिखे जाते तक ३१,२००+ रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं एवं ![]()
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से अधिक विजिटर्स आपकी प्रिय वैबसाइट https://www.e-abhivyakti.com पर विजिट कर अपना आत्मीय स्नेह और प्रतिसाद दे चुके हैं.
हमें इस सूचना को आपसे साझा करते हुए अत्यंत गर्व का अनुभव हो रहा है कि ई-अभिव्यक्ति भारत का प्रथम प्रकाशन है जो विगत चार वर्षों से फ्लिपबुक फोर्मेट में हिंदी एवं मराठी भाषा में दीपावली विशेषांक का निःशुल्क प्रकाशन कर रहा है.
इस सम्पूर्ण यात्रा में हम लोग काफी उतार चढ़ाव से गुजरे. गत एक वर्ष में हमने आपने प्रिय मित्र स्मृतिशेष जय प्रकाश पाण्डेय जी के साथ ही गुरुवर डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ और प्रो. चित्रभूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी को खोया है जिनकी स्मृतियाँ सदैव अविस्मृत रहेंगी.
हमारे सम्पादक मंडल ने अपने प्रबुद्ध लेखकगण एवं पाठकगण के सहयोग से साहित्य सेवा में अपना निःस्वार्थ योगदान देकर साहित्य को नए आयाम देने का प्रयास किया है.
आप को आश्चर्य होगा कि हमारे संपादक मंडल के सदस्य वरिष्ठ नागरिकों / साहित्यकारों का एक छोटा सा समूह है, जो बिना किसी व्यावसायिक लाभ के अपनी अभिरुचि स्वरुप स्वान्तः सुखाय उत्कृष्ट साहित्य प्रदान करने को तत्पर है. ई-अभिव्यक्ति नवोदित साहित्यकारों से लेकर सम्माननीय वरिष्ठ साहित्यकारों के साहित्य को एक सम्माननीय मंच प्रदान करता है और ससम्मान प्रकाशित करने का प्रयास करता है.
हमारे संपादक मंडल का प्रयास रहता है कि – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरा सम्मान देते हुए निर्विवादित साहित्य प्रस्तुत करें। हम रंग, धर्म, जाति और राजनीति से सम्बंधित विवादित साहित्य को कदापि प्रोत्साहित नहीं करते. यदि हमें कोई साहित्य मिलता है तो उसे हम ससम्मान प्रकाशित करते हैं। हाँ साहित्य की अधिकता में कुछ विलम्ब की संभावना हो सकती है. यदि आपका कोई साहित्य प्रकाशित नहीं होता है तो कृपया यह समझा जाए कि वह हमारे निर्धारित साहित्यिक मानदंडों के अंतर्गत नहीं आते और इस सन्दर्भ में आपका सादर सहयोग अपेक्षित है. साहित्य के चुनाव में संपादक मंडल का निर्णय अंतिम एवं मान्य होता है.
उपरोक्त सभी उपलब्धियों से ई-अभिव्यक्ति परिवार गौरवान्वित अनुभव करता है। हम कामना करते हैं कि – आप सभी का यह अपूर्व आत्मीय स्नेह एवं प्रतिसाद इसी प्रकार हमें मिलता रहेगा।
आपसे सस्नेह विनम्र अनुरोध है कि आप ई-अभिव्यक्ति में प्रकाशित साहित्य को आत्मसात करें एवं अपने मित्रों से सोशल मीडिया पर साझा करें।
आपके विचारों एवं सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
एक बार पुनः आप सभी का हृदय से आभार ।
सस्नेह
हेमन्त बावनकर
पुणे (महाराष्ट्र)
१४ नवम्बर २०२५
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’≈


















