श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # ३८४ ☆
व्यंग्य – सत्य का डॉक्टर्ड वीडियो
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
सत्य संशय में है,गांधी जी के तीनो जापानी बंदर अब ए आई के जमाने में अपडेट हो चुके हैं। एक ने मुंह पर मोबाइल के पैक डिब्बे से निकला टेप चिपका लिया है , दूसरा कानों में इयरबड लगाकर कह रहा है मैं एआई फेक नहीं सुनता , यह मेरी समझ से बाहर है, तीसरा कैमरे के सामने हाथ हिलाकर कह रहा है अब मुझे मत शूट करो भाई, मुझे वीडियो साक्ष्य पर अब भरोसा नहीं रहा ।
कभी लोग कहते थे जो आंखों देखा वही सच। पर आज वही वीडियो सत्य , झूठ साबित हो रहा है। आंखों देखी अब भरोसे के काबिल नहीं रही। आंखें तो अब मोबाइल स्क्रीन पर टिकी रहती हैं और स्क्रीन पर जो कुछ दिखता है वो जेमिनी और उसके भाई बंधुओं का बनाया हुआ मायाजाल होता है। अब कोई भी वीडियो सच नहीं होता बस ए आई एडिटिंग की उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन होता है। पल भर में आप शेर की सवारी करते नजर आ सकते हैं, और अगले ही क्षण एक क्लिक से गोआ के बीच पर रंगरेलिया मनाते दिखाए जा सकते हैं। वीडियो सत्य भी डॉक्टर्ड है जो फॉरेंसिक जांच के प्रमाण पत्र के बिना झूठ समझा जा सकता है।
पहले कोई रिश्वत लेते पकड़ा जाता था तो कहा जाता था कि वीडियो साक्ष्य पक्का सबूत है। अब वही अफसर मुस्कराकर कहता है साहब ये तो जेमिनी का बनाया हुआ वीडियो है । विभाग जांच बैठा देता है कि यह रिश्वत असली है या आर्टिफिशियल। रिश्वतखोर कहता है कि नोटों के बंडल तो मेरी जेब में खुद एआई ने डाले थे मैं तो फाइल में गांधी जी के आदर्श ढूंढ रहा था, यह सब मेरे विरुद्ध एक टेक्निकल साजिश है।
अब न्यायालय भी परेशान है। वकील साहब कहते हैं कि माय लॉर्ड यह वीडियो पूरी तरह से कंप्यूटर जनित भ्रम है। जज साहब सोच में पड़ जाते हैं कि फैसला सुनाएं या अपडेट डाउनलोड करें। अदालत में गवाह कहता है मैंने अपनी आंखों से देखा और सामने वाला वकील पूछता है क्या आपकी आंखें जेमिनी से वेरीफाइड थीं।
प्रेम की दुनिया भी इस तकनीक की शिकार हो गई है। अब लड़की पूछती है क्या तुम सच में मुझसे प्यार करते हो और लड़का कहता है जितना प्यार जेमिनी मुझसे करता है। अब रोमांस नहीं होता रेंडरिंग होती है। लोग कहते हैं वीडियो कॉल पर कितने प्यारे लगते हो और सामने मिलते ही पूछ बैठते हैं , आप कौन हैं। प्यार बस एचडी क्वालिटी में दिखने वाला झूठ बन गया है।
शर्मा जी का हाल तो और भी खराब हुआ। ऑफिस में एक वीडियो फैला जिसमें वे अपनी टीम मेंबर के साथ पार्किंग में कुछ ज्यादा ही टीमवर्क करते दिखे। बीवी ने मोबाइल दिखाकर कहा ये कौन है। शर्मा जी बोले ये सब डीपफेक है , मैं तो बोर्ड मीटिंग में था। बीवी बोली बोर्ड मीटिंग में तुमने थाईलैंड जाने की बात कब से शुरू कर दी। शर्मा जी ने पसीना पोंछते हुए कहा अब जेमिनी आवाज तक कॉपी कर लेता है। बीवी बोली तो क्या अब मैं जेमिनी से पूछूं कि मेरा असली पति कौन है।
भ्रष्टाचार अब कला का रूप ले चुका है। पहले चोरी करते लोग डरते थे अब चोरी का वीडियो खुद बनाते हैं और लिखते हैं यह समाजशास्त्र का प्रयोग है। अब चोर भागता नहीं इंटरव्यू देता है। कहता है मैंने चोरी नहीं की, जेमिनी ने सिखाया था, मैं तो अनुसंधान कर रहा था। पुलिस भी अब सर्वर से पूछताछ करती है अपराधी नहीं पकड़ा जाता उसका डेटा पकड़ा जाता है।
जनता की हालत और भी दयनीय है। सुबह सोशल मीडिया खोलते ही हर आदमी किसी न किसी स्कैंडल का हिस्सा होता है। कोई नेता रिश्वत लेता है । कोई संत भगवत कथा सुनते हुए लड़कियों के संग गुप्त तपस्या में लीन पकड़ा जाता है । और हर कोई कहता है ये सब फेक वीडियो है। साजिश है ।अब भ्रम है , कौन असली है कौन आर्टिफिशियल। अब जो झूठ बोलता है वो मासूम कहलाता है और जो सच बोल देता है वो एआई विरोधी माना जाता है।
थाईलैंड अब एक पर्यटन स्थल नहीं वैवाहिक विवाद का प्रतीक बन गया है। कोई भी पुरुष वहां न भी जाए तो भी उसका डिजिटल वर्जन घूम आता है। बीवी वीडियो दिखाती है , देखो ये तुम बीच पर हो और पति कहता है ये फेस स्वैप है। बीवी कहती है तो पासपोर्ट की फोटो में वही मुस्कान क्यों है। अब सच्चाई भी सर्वर की मरजी से चलती है।
सच अब वैसा है जैसे सरकारी टेंडर हमेशा अटैचमेंट में छुपा रहता है। या शेयर इनवेस्टमेंट की बारीक अक्षरों वाली शर्तों में। लोग कहते हैं सच देखना हो तो वीडियो भेजो और वीडियो भेजते ही सबूत मिट जाता है। जो सच था वो फाइल बन गया और जो झूठ था वो ट्रेंडिंग वायरल टॉपिक।
भविष्य का बच्चा स्कूल में निबंध लिखेगा मेरा असली पिता कौन है। परीक्षा में पूछा जाएगा सत्य और डीपफेक का तुलनात्मक अध्ययन। और विज्ञान मेले में बच्चे प्रोजेक्ट लगाएंगे सच्चाई को फर्जी बनाने की मशीन।
अब हर सत्य संशय में है। कोई कहता है मैंने देखा तो लोग कहते हैं स्क्रीन रिकॉर्डिंग दिखाओ। कोई कहता है मैं निर्दोष हूं तो जवाब मिलता है प्रमाण दो कि तुम इंसान हो न कि किसी सॉफ्टवेयर का एक्सपेरिमेंट।
सच बोलना अब अपराध है क्योंकि झूठ जेमिनी की मेहरबानी से और खूबसूरत हो गया है।
वीडियो साक्ष्य का सचमुच अंत हो चुका है। अब सच्चाई क्लाउड में अपलोड है और झूठ हर मोबाइल के व्हाट्सअप पर डाउनलोड हो रहा है। जो दिख रहा है वो झूठ है और जो नहीं दिख रहा वह सच हो इसमें सदा संशय है।
कहते हैं सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं। पर जेमिनी के जमाने में सत्य न सिर्फ परेशान है बल्कि एडिट भी हो चुका है।
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© श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈










