श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता रक्षाबंधन पर्व पर…”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 228

☆ # “रक्षाबंधन पर्व पर…” # ☆

यह जन्मों का अटूट बंधन है

भाई के माथे का चंदन है

पल पल राह तकते नयना

इस रिश्ते को शत-शत वंदन है

 

भाई बहन के नेह की कहानी है

यह तो सदियों पुरानी है

कितना भी दुष्कर समय हो

यह रस्म तो सबको निभानी है

 

इसमें कोई स्वार्थ नहीं है

कोई छुपा हुआ भावार्थ नहीं है

बहन की है निश्छल पूजा

और दूजा कोई अर्थ नहीं है

 

बचपन हमने साथ ही खेला

हर सुख दुख को संग संग झेला

अगर मिल ना पाए इस पर्व पर

तो बेरंग लगता है दुनिया का मेला

 

रक्षाबंधन भाई बहन का प्यार है

भाई का बहन के लिए दुलार है

एक दूजे के बिना दोनों है अधूरे

दोनों के स्नेह में ही तो संसार है

 

बहना ने राखी संग थाली में लाई

खीर मिष्ठान रसीली मिठाई

आरती उतारी फिर खीर खिलाई

 दुनिया में मुझसे अमीर अब कौन होगा भाई

 

जिनकी नहीं होती है बहना

उनके दुख को फिर क्या कहना

जीवन के इस चुभती कमी को

पड़ता है उम्र भर सहना

 

बहन है तो हो भाग्यशाली

जीवन भर करना इसकी रखवाली

कुदरत का बेशकीमती उपहार है

कलाई पर राखी बांधने वाली /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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