डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है नववर्ष एवं नवरात्रि  के अवसर पर एक समसामयिक  “भावना के दोहे ।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 40 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे 

 

शक्ति

नारी तू नारायणी, स्वयं शक्ति अवतार।

नारी के हर रूप की, महिमा अपरंपार ।

 

देवी

नारी अब अबला नहीं, नारी बड़ी महान।

देवी सी गरिमा मिले, देवी सा सम्मान।।

 

शारदा

मां मैहर की शारदा,  सजे सदा दरबार।

आल्हा करें आरती,नित्य नवल श्रंगार।।

 

शैलपुत्री

लक्ष्मी दुर्गा अम्बिका,शैलसुता हर रूप।

नारी को सब पूजते,देवी लगे अनूप।।

 

श्रद्धा

नारी मूरत प्रेम की,श्रद्धा की तस्वीर।

नारी से बनती सदा,सबकी ही तकदीर।।

 

नवबर्ष

आया है नववर्ष ये, सबका हो उद्धार।

कोरोना के कहर से,बचा रहे संसार।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

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