डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  एक भावप्रवण  और सार्थक लघुकथा  “इज्जत । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 51 – साहित्य निकुंज ☆

☆ लघुकथा – इज्जत ☆

आज मामी का फोन आया और बिटिया की शादी का शुभ समाचार मिला। बहुत खुशी हुई सोचा आज मामा होते तो बहुत खुश होते। शादी में अभी समय है पता चला दिती घर से चली गई है।  वह शादी नहीं करना चाहती। लेकिन मालूम हुआ उसके मौसाजी समझा बुझाकर उसे घर वापस ले आए और शादी के लिए मजबूर किया। सिर्फ घर की इज्जत बची रहे।

लेकिन आज शादी के कई  वर्ष बाद पता चला दोनों में बन नहीं रही अक्सर झगड़ा होता रहता है। दोनों की इतने वर्षों में भी नहीं बन पाई।

मौसी ने बताया कि ..” क्योंकि दिती अपने प्यार को भूल नहीं पा रही और अक्सर मिलती रहती है।”

ओह ऐसी बात है  “अब मामी की इज्जत कहां गई जिसे बचाने के लिए अपनी बेटी की खुशियां कुर्बान कर दी।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना