श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं।  आज प्रस्तुत है  “लघुकथा  – इरादा। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 82 ☆

☆ लघुकथा – इरादा ☆

पुराने मकान को विस्फोटक से उड़ाने वाले को दूसरे ने अपनी लम्बी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा, ” इस मुर्ति को विस्फोट से उड़ा दो लाखों रुपए दूंगा।” सुन कर पहले वाला दाढ़ीधारी हँसा ।

” जानते हो इस मुर्ति को बनाने में सैकड़ों दिन लगे हैं और हजारों की आस्था जुड़ी हैं ।” पहले वाले ने कहा, ” मैं घर बनाने के लिए विस्फोट कर के मज़दूरी करता हूं किसी की जान लेने के लिए,” कहते हुए उस ने चुपचाप100 नम्बर डायल कर दिया।

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

17-01-21

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र
ईमेल  – [email protected]

मोबाइल – 9424079675

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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