श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण लघुकथा “अंतिम इच्छा”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 86 7
☆ लघुकथा — अंतिम इच्छा ☆
“मेरी एक अंतिम बात मानोगे?”
“जी!”, डॉ ने अपने हाथ सैनिटाइजर्स धोते हुए पूछा।
वह कुछ देर चुप रही। फिर बोली, ” एक बार आपने एक इच्छा जाहिर की थी।”
“जी !”
“आपने कहा था- एक बार मुझे गले से लगा कर प्यार कर लो। मगर तब मैं मजबूर थी। मेरी सगाई हो चुकी थी।”
“जी।”
“अब पति भी जा चुका है। चाहती हूं मेरी भी इच्छा पूरी कर लूं।”
” क्या !”
” क्या आखरी बार मुझे आलिंगन करके प्यार नहीं करोगे? ताकि यहां नहीं मिल सके तो क्या हुआ वहां तो…..,” कह कर वह डॉक्टर को निहारने लगी।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
18-05-2021
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