श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – मुक्ति मार्ग।)
☆ लघुकथा – मुक्ति मार्ग ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
भूखे पेट भजन न होय गोपाला। भूख तो सबको लगती है भगवान के दर्शन हो जाएं तो मन तृप्त होता है लेकिन शरीर के लिए तो भोजन आवश्यक है ।
देखो बहू मैं साड़ी देख रही थी तो तुम्हें और जीतू को ऐतराज हो रहा था मैं तुम्हारे लिए ही साड़ी बनाना चाह रही थी। डिजाइन को अपने दिमाग में बिठा रही थी देखो चूड़ी बिंदी तो सब जगह मिलती है, लेकिन तुम्हारा मन ललचाया ।
कोई बात नहीं तुम देखो?
तब तक मैं सभी के खाने की व्यवस्था करती हूं। उस सामने वाले रेस्टोरेंट में आ जाना।
तभी मां एवं जीतू के पास एक बुजुर्ग आती है और कहती है बहन जी काशी में आई है कुछ दान पुण्य तो कर लीजिए, मुक्ति मार्ग दान के सहारे ही मिलेगा।
हां अब बस तुम ही तो बाकी रह गई हो उपदेश देने को उधर मंदिर में पुजारी, टीवी खोल कर बैठो तो साधु से लेकर युवा पीढ़ी सभी लोग फेसबुक, व्हाट्सएप जाने कहां से इतना सभी के पास ज्ञान आता है ?
बेटा हम तुम भोजन करें वही हमारे लिए मुक्ति मार्ग है।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈