श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – घाट घाट का पानी।)
☆ लघुकथा # 49 – घाट घाट का पानी ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
अरे आशा बड़े दिनों बाद कॉलोनी में दिख रही हो, तुम्हारा तो ट्रांसफर हो गया था । क्या फिर से तुम दिल्ली आ गयी?
आखिर हमारे शहर का जादू चली गया तुम्हारा मन नहीं लगा।
अरुण भाभी आपका मन बिना मजाक किए लगता नहीं है और खाना भी हजम नहीं होता। आज भी आप मंदिर इसी तरह जाती हैं, इस बार मुझे क्वार्टर इस सामने वाले घर में मिला है। चलिए ना थोड़ी देर बैठिये।
हां हां आऊंगी अभी तो मुझे मंदिर पूजा करने जाना है, तुम्हें पता है मैं हर सोमवार को मंदिर जाती हूं।
तुम्हारा तो इतनी जगह ट्रांसफर हो चुका है?
क्या करूं भाभी इन 10 सालों में आपका कहीं ट्रांसफर नहीं हुआ। पर हमें तो तीन जगह देखना पड़ा क्या करूं?
भगवान और किस्मत को जो मंजूर रहता है, वही होता है।
हां हां बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे। आखिर तुमने घाट-घाट का पानी जो पिया है!
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈