श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय व्यंग्य “अथकथा में, हे कथाकार!)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 199 ☆

☆ लघुकथा – सेवा ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ 

दो घंटे आराम करने के बाद डॉक्टर साहिबा को याद आया, ” चलो ! उस प्रसूता को देख लेते हैं जिसे आपरेशन द्वारा बच्चा पैदा होगा,हम ने उसे कहा था,” कहते हुए नर्स के साथ प्रसव वार्ड की ओर चल दी. वहां जा कर देखा तो प्रसू​ता के पास में बच्चा किलकारी मार कर रो रहा था तथा दुखी परिवार हर्ष से उल्लासित दिखाई दे रहा था.

” अरे ! यह क्या हुआ ? इस का बच्चा तो पेट में उलझा हुआ था ?”

इस पर प्रसूता की सास ने हाथ जोड़ कर कहा, ” भला हो उस मैडमजी का जो दर्द से तड़फती बहु से बोली— यदि तू हिम्मत कर के मेरा साथ दे तो मैं यह प्रसव करा सकती हूं.”

” फिर ?”

” मेरी बहु बहुत हिम्मत वाली थी. इस ने हांमी भर दी. और घंटे भर की मेहनत के बाद में ​प्रसव हो गया. भगवान ! उस का भला करें.”

” क्या ?” डॉक्टर साहिबा को यकीन नहीं हुआ, ” उसने इतनी उलझी हुई प्रसव करा दूं. मगर, वह नर्स कौन थी ?”

सास को उस का नाम पता मालुम नहीं था. बहु से पूछा,” बहुरिया ! वह कौन थी ? जिसे तू 1000 रूपए दे रही थी. मगर, उस ने लेने से इनकार कर दिया था.”

” हां मांजी ! कह रही थी सरकार तनख्वाह देती है इस सरला को मुफ्त का पैसा नहीं चाहिए.”

यह सुनते ही डॉक्टर साहिबा का दिमाग चकरा गया था. सरला की ड्यूटी दो घंटे पहले ही समाप्त हो गई थी. फिर वह यहां मुफ्त में यह प्रसव करने के लिए अतिरिक्त दो घंटे रुकी थी.

” इस की समाजसेवा ने मेरी रात की डयूटी का मजा ही किरकिरा कर दिया. बेवकूफ कहीं की,” धीरे से साथ आई नर्स को कहते हुए डॉक्टर साहिबा झुंझलाते हुए अगले वार्ड में चल दी.

© श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

०७.०३.२०१८

संपर्क – 14/198, नई आबादी, गार्डन के सामने, सामुदायिक भवन के पीछे, रतनगढ़, जिला- नीमच (मध्य प्रदेश) पिनकोड-458226

ईमेल  – [email protected] मोबाइल – 9424079675 /8827985775

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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