स्व प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर स्व प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित – “कविता – रामचरित मानस…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण स्व प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।)
☆ काव्य धारा # २४३ ☆
☆ रामचरित मानस… ☆ स्व प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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रामचरित मानस मधुर अनुपम ग्रन्थ महान
जिसके अध्ययन मनन से निर्मल होते प्राण!
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कथा सुहावन राम की कविवर तुलसीदास
भर दी एक एक छन्द में जिनने अमर मिठास !
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‘राम’ रूप भगवान का, पावन उनका नाम
जिनके गुण गायन, भजन सफल करें हर काम !
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राम नाम हर दुखी के लिये बड़ा आधार
जिसकी सुखप्रद शरण से कटते दुःख हजार !
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राम नाम का स्मरण देता मन को शांति
भक्तों को देता है बल, मिटा सकल भव-भ्रांति !
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सबका है श्री राम पर मन चाहा अधिकार
मन में गहरी भक्ति रख करें उन्हें जो प्यार !
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रामकथा मन को सदा देती विमल प्रकाश
राम को मन में बसा के कोई न कभी उदास !
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रामायण के पाठ में आध्यात्मिक ज्ञान
सबके रक्षक और सखा सदा राम भगवान !
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रामकृपा सुखदायिनी तरू की छाँव समान
मनोवांछादायी है राम का शुभ गुणगान !
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कृपा भाव पर राम के, जिनका है विश्वास
सतत सफलता सिद्धि सब आतीं उनके पास !!
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© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी भोपाल ४६२०२३
मो. 9425484452
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈





