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☆ व्यंग्यम समाचार – व्यंग्य समीक्षा  गोष्ठी संपन्न   ☆

श्री रमेश सैनी

विगत दिवस व्यंग्यम जबलपुर द्वारा डा.लालित्य  ललित का व्यंग्य संग्रह “पांडेय जी और जिंदगीनामा’ तथा डॉ रमेश चंद्र खरे का व्यंग्य संग्रह “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई. गोष्ठी के आरंभ में  विमर्श की सुविधा हेतु लालित्य ललित की पुस्तक “पांडेय जी और जिंदगीनामा” से एक रचना”पाण्डेय जी और सोशल मीडिया” का पाठ रमेश सैनी ने और रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” से एक रचना “लोकतांत्रिक लोचों का तंत्र लोक”का पाठ जयप्रकाश पांडेय ने किया .

तत्पश्चात “पांडेय जी और जिंदगीनामा” पर अभिमन्यु जैन और प्रतुल श्रीवास्तव ने समीक्षात्मक आलेख का पाठ किया और दोनों समीक्षकों ने पुस्तक की अनेक रचना पर विस्तार से अपनी बात करते हुए रचनाओं की विशेषताओं पर विभिन्न बिंदुओं पर बारीकी से चर्चा की.  डॉ. रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर डॉ कुंदन जी परिहार और व्यंग्यकार विवेक रंजन श्रीवास्तव ने अपने समीक्षात्मक आलेख पढ़े. संग्रह की अनेक रचनाओं का उल्लेख करते हुए समीक्षक द्वय कहा कि लेखक के विषय चयन से लेखक की सामाजिक संबंद्धता और मानवीय मूल्यों की चिंता झलकती है. विमर्श को आगे बढ़ाते कहा डॉ विजय तिवारी किसलय ने दोनों पुस्तकों पर चर्चा करते हुए कहा कि जिंदगीनामा में लेखक को जीवन और अपने आसपास की प्रवृत्तियों को पकड़ने की महारत हासिल है. खरे जी की रचनाएं, व्यंग्य परंपरा की रचनाएं है. उनकी दृष्टि स्पष्ट है और वे सहज ढंग से विसंगतियों को पाठक के समक्ष रखते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए डाँ कुंदन सिंह परिहार ने जिंदगीनामा की रचनाओं पर कहा कि लेखक को अपने  कहन में सावधानी रखना चाहिए .लेखक को जीवन की विसंगतियों को पकड़ने की दृष्टि है एन एल पटेल ने अपनी चर्चा में कहा कि रमेश चंद्र खरे के लेखन में सामाजिक संवेदना और विचारों में परिपक्वता झलकती है .जबकि लालित्य ललित दैनिक जीवन और आम वर्ग की विसंगतियों को सफलतापूर्वक पकड़ते हैं. अभिमन्यु जैन ने पांडेय जी और जिंदगी नामा पर अपने आलेख में अपनी बात रखते हुए कहा कि ललित में एक अलग प्रकार की स्वच्छंदता है. उनकी भाषा  प्रकृति के अनुरूप शब्द चुन लेती है .जयप्रकाश पांडे ने खरे जी की पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा कि उनकी रचनाएं सामाजिक विसंगतियों पर सटीक प्रहार करते हैं और ललित व्यक्तिगत अधिक है. जो रचना की पठनीयता को बढ़ा देते हैं .

दूसरे सत्र में व्यंग्यम की नियमित.व्यंग्य पाठ गोष्ठी हुई। विवेक रंजन श्रीवास्तव ने “डर के आगे जीत है” अभिमन्यु जैन ने “दुखी हैं’ जयप्रकाश पांडेय ने “अच्छे दिन आने वाले हैं’ ओ पी सैनी “आजकल” और रमाकांत ताम्रकार नै “बाबू का सर्टिफिकेट” का पाठ किया. गोष्ठी की अध्यक्षता डा.कुंदन सिंह परिहार ,संचालन रमेश सैनी और आभार प्रदर्शन विजय तिवारी किसने किया .

प्रस्तुति – श्री रमेश सैनी, जबलपुर  

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