श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”


(आज  “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद  साहित्य “ में प्रस्तुत है  श्री सूबेदार पाण्डेय जी की श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के जन्मदिवस पर एक भावप्रवण कविता “ये उत्सव है लोकतंत्र का। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य –  ये उत्सव है लोकतंत्र का ☆

ये उत्सव है लोकतंत्र का,

मतदाता का दिन आया।

 

रणभेरी दुंदुभी बज उठी,

सबने लालच का जाल बिछाया।

अपना अपना मतलब साधे,

देखो उनका अनर्गल प्रलाप।

जाति पांति मजहब भाषा के,

ले मुद्दे करते विलाप।

।। ये उत्सव है लोकतंत्र का ।।1।।

 

ये विकास का ख्वाब दिखाते,

नारों से भरमाते हैं।

जनता की सुधि ले न सके,

बस इसी लिए घबराते हैं।

जाति धर्म से ऊपर उठकर,

राष्ट्र धर्म का गान करो।

लोकतंत्र के उत्सव में

निर्भय हो मतदान करों।

।। ये उत्सव है लोकतंत्र का ।।2।।

 

सजग नागरिक बन करके,

देश के पहरेदार बनो।

मत घायल होने दो भारत मां को,

पीड़ा सह लो दिलदार बनो।

लघु प्रयास मतदाता का ,

अपना रंग दिखायेगा ।

जब प्रत्याशी योग्य चुनोगे तुम

फिर लोकतंत्र जी जायेगा।

।। ये उत्सव है लोकतंत्र का ।।3।।

 

उदासीनता यदि बरती तो,

नहीं किया गर तुमने मतदान ।

फिर चोटिल होगी भारत मां

फिर से सिसकेगा हिंदुस्तान।

मत सोओ आलस निद्रा त्यागो ,

लोकतंत्र में जोश भरो।

रक्षा करो वतन की अपने,

एक नहीं सौ बार‌ मरो ।

।। ये उत्सव है लोकतंत्र का ।।4।।

 

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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