डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं   “भावना के दोहे। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 93 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

अभी अभी तो हैं  खुले,

जीवन के हर द्वार।

जिएंगे हम खुशी से,

मानेंगे ना हार।।

 

मिठास सा जीवन रहे,

थोड़ा सा मनुहार।

हर रिश्ते में भाव का,

प्यार भरा श्रृंगार।।

 

कांटा चुभते चुभ गया,

घाव बहुत गंभीर।

दर्द बहुत मन में हुआ,

होती जब है पीर।।

 

नींद कहां ही आ रही,

जागें सारी रात।

आंखों से ही बह रहा,

आंसू का जलजात।।

 

तनहाई करती रही,

बस उनकी फरियाद।

कोरोना में खो दिया,

करते उनको याद।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना