श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा रात  का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9th की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण कविता  “आदमी सूरजमुखी सा….”। )

☆  तन्मय साहित्य  #100 ☆

☆ आदमी सूरजमुखी सा…. ☆

हवाओं के साथ, रुख बदला नया है

आदमी, सूरजमुखी  सा  हो  गया है।

 

दोष देने में लगे हैं,  खेत को ही

घुन खाए बीज, कोई  बो  गया है।

 

सोचना, नीति – अनीति व्यर्थ अब

संस्कृति संस्कार घर में खो गया है।

 

संयमित  हो कर, घरों  में  ही  रहें

खिड़कियों के काँच मौसम धो गया है।

 

सियासत के  चक्रव्यूह  की कैद से

फिर कभी छूटे नहीं, जो भी गया है।

 

फेन, फ्रिज, कूलर, सभी  चालु तो है

कौन सा भय फिर कमीज भिगो गया है।

 

अब  बचा  नहीं  पाएंगे, मन्तर  उसे

रात उसकी छत पे उल्लू रो गया है।

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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