देवउठनी एकादशी विशेष

डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची ‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है  देवउठनी एकादशी एवं  तुलसी विवाह  के पावन पर्व पर उनकी एक सामयिक कविता   “तुलसी विवाह”। ) 

 

☆ तुलसी विवाह

 

तुलसी विवाह की प्रथा,

युगों युगों के साथ।

मंगलमय जीवन हुआ,

है हाथों में हाथ।।

 

दिन एकादशी आज है,

शुरू हो रहा विवाह।

नवविवाहित ही करते,

जीवन  वहीं निर्वाह।

 

ग्यारस है देवउठनी ,

पावन कार्तिक माह।

जागे सारे देवता ,

रचा तुलसी विवाह।

 

डॉ भावना शुक्ल

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